उत्तान मंडूकासन: योग से पाएं शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभ
तनाव और स्वास्थ्य पर योग का प्रभाव
नई दिल्ली: आजकल की तेज़-तर्रार जीवनशैली ने हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाला है। शारीरिक समस्याएं, तनाव और मानसिक दबाव अब आम हो गए हैं। यदि हम अपनी सेहत का ध्यान नहीं रखते, तो ये समस्याएं और भी गंभीर हो सकती हैं। स्वास्थ्य का अर्थ केवल शारीरिक फिटनेस नहीं है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्थिति भी महत्वपूर्ण है। योग एक प्राचीन कला है, जो न केवल शरीर को स्वस्थ रखता है, बल्कि मानसिक शांति और संतुलन भी प्रदान करता है। वर्तमान समय में, जब तनाव और मानसिक दबाव बढ़ रहा है, योग का अभ्यास एक प्रभावी उपाय हो सकता है। इस संदर्भ में, आयुष मंत्रालय ने अपने इंस्टाग्राम पर उत्तान मंडूकासन के बारे में जानकारी साझा की है, जो शारीरिक और मानसिक लाभ प्रदान कर सकता है। यह आसन पीठ, गर्दन, कंधे और फेफड़ों के स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है।
उत्तान मंडूकासन का महत्व
उत्तान मंडूकासन का नाम तीन शब्दों से मिलकर बना है: 'उत्तान' यानी ऊपर की ओर तना हुआ, 'मंडूक' यानी मेंढक, और 'आसन' यानी मुद्रा। इसका अर्थ है एक ऐसी मुद्रा जो शरीर को ऊपर की ओर तानकर की जाती है और इसे मेंढक की स्थिति में किया जाता है। नियमित रूप से इस आसन का अभ्यास करने से कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। आयुष मंत्रालय ने इस आसन के अभ्यास की विधि और इसके लाभों के बारे में विस्तार से बताया है।
उत्तान मंडूकासन के लाभ
आयुष मंत्रालय के अनुसार, इस आसन का नियमित अभ्यास पीठ और गर्दन के दर्द से राहत दिलाता है। उत्तान मंडूकासन रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाता है, क्योंकि यह आसन रीढ़ की हड्डी के दोनों तरफ की मांसपेशियों को खींचता है, जिससे पीठ के दर्द और कमजोर हड्डियों में आराम मिलता है। इसके अलावा, यह आसन शरीर की अतिरिक्त चर्बी को कम करने में भी मदद करता है। जब हम अपने हाथों को ऊपर की ओर खींचते हैं और पीठ को तानते हैं, तो कंधे और पीठ की मांसपेशियां सक्रिय होती हैं, जिससे इन हिस्सों में ताकत आती है। उत्तान मंडूकासन रक्त संचार में सुधार करता है, जिससे ऑक्सीजन और पोषक तत्व शरीर के अंगों तक बेहतर तरीके से पहुंचते हैं।
आसन का अभ्यास कैसे करें
उत्तान मंडूकासन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले वज्रासन की मुद्रा में बैठें। वज्रासन में बैठते समय आपके दोनों पैरों के अंगूठे आपस में जुड़े होते हैं और घुटने खुले रहते हैं। फिर, धीरे-धीरे सांस लेते हुए अपने दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठाएं और कंधों के ऊपर विपरीत दिशा में रखें। इस स्थिति में, आपकी पीठ और गर्दन पूरी तरह से सीधी होनी चाहिए। कुछ समय तक इस स्थिति में बने रहने के बाद, धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में लौटें। अभ्यास करते समय ध्यान रखें कि अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक जोर न लगाएं। अपनी पीठ और गर्दन को सीधा बनाए रखें ताकि चोट से बचा जा सके। यह आसन शुरुआत में थोड़ा कठिन लग सकता है, इसलिए इसे धीरे-धीरे अभ्यास में लाएं।
सावधानियां
आयुष मंत्रालय ने कुछ सावधानियां भी बताई हैं। जब भी इस आसन का अभ्यास करें, ध्यान रखें कि यदि आपके शरीर के किसी हिस्से में दर्द या चोट है, तो इसे न करें। पेट से संबंधित समस्याओं या हाल ही में सर्जरी कराए जाने पर इस आसन से बचना चाहिए। आसन का अभ्यास करते समय हमेशा ढीले कपड़े पहनें और खाली पेट योग करें, ताकि आपकी ऊर्जा पूरी तरह से आसन पर केंद्रित हो सके।