एच-1बी वीजा फीस में वृद्धि से हड़कंप, भारतीय पेशेवरों पर असर
अमेरिकी राष्ट्रपति का नया निर्णय
नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा की फीस को बढ़ाकर 1,00,000 डॉलर (लगभग 88 लाख रुपये) करने का एकतरफा और चौंकाने वाला निर्णय लिया है। यह नया नियम 21 सितंबर से लागू होगा, जिसके चलते विश्वभर के हवाई अड्डों पर अफरा-तफरी का माहौल बन गया है। इस निर्णय का सबसे अधिक प्रभाव भारतीय आईटी पेशेवरों पर पड़ा है, जो अमेरिका लौटने के लिए किसी भी कीमत पर टिकट खरीदने को मजबूर हैं।
नए नियमों के अनुसार प्रवेश की शर्तें
नई नीति के तहत, सभी एच-1बी वीजा धारकों को 21 सितंबर को भारतीय समयानुसार सुबह 9:31 बजे से पहले अमेरिका में प्रवेश करना अनिवार्य है। इस समय सीमा के बाद अमेरिका में प्रवेश करने वालों को 1 लाख डॉलर की नई फीस का भुगतान करना होगा। इस घोषणा के बाद दिल्ली से न्यूयॉर्क जाने वाली उड़ान का किराया, जो कुछ घंटे पहले 37,000 रुपये था, अब 70-80 हजार रुपये तक पहुंच गया है। कुछ यात्रियों ने सोशल मीडिया पर 3.7 लाख रुपये तक में टिकट खरीदने की जानकारी दी है।
हवाई अड्डों पर अफरा-तफरी का माहौल
अभूतपूर्व दृश्य
ट्रंप के इस निर्णय के बाद हवाई अड्डों पर अभूतपूर्व दृश्य देखने को मिल रहे हैं। सैन फ्रांसिस्को एयरपोर्ट पर कई भारतीय यात्री अमेरिका से बाहर जा रहे एक विमान से उतर गए, जिससे विमान तीन घंटे तक रनवे पर खड़ा रहा। इसी तरह का दृश्य दुबई-मुंबई उड़ान में भी देखने को मिला, जब लगभग 15 भारतीय पेशेवर अमेरिका लौटने की जल्दी में बीच रास्ते ही विमान से उतर गए। वहीं, जो लोग छुट्टियों या काम के सिलसिले में भारत आए थे, वे अब डेडलाइन से पहले वापस न लौट पाने के कारण फंस गए हैं, जिससे उनका करियर और भविष्य दोनों दांव पर लग गया है।
बड़ी कंपनियों की एडवाइजरी
गंभीरता को देखते हुए सलाह
मामले की गंभीरता को देखते हुए अमेज़न, माइक्रोसॉफ्ट और जेपी मॉर्गन जैसी प्रमुख अमेरिकी कंपनियों ने अपने एच-1बी वीजा धारक कर्मचारियों को तुरंत अमेरिका न छोड़ने की सलाह दी है। इसके अलावा, जो कर्मचारी विदेश में हैं, उन्हें तुरंत वापस लौटने के लिए कहा गया है। इस निर्णय का सीधा असर भारतीय पेशेवरों और उनके परिवारों पर पड़ा है, जिससे उनमें घबराहट और भ्रम का माहौल है।