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कफ सिरप से बच्चों की मौत: मध्य प्रदेश और राजस्थान में बढ़ी चिंता

हाल ही में मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप के सेवन से बच्चों की मौत की घटनाओं ने देशभर में चिंता का माहौल पैदा कर दिया है। छिंदवाड़ा में 14 और राजस्थान में 4 बच्चों की मौत हुई है। प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि इन मौतों का कारण खतरनाक रसायनों वाले कफ सिरप का सेवन है। कोल्ड्रिफ नामक सिरप पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, और इसकी जांच में डाईथिलीन ग्लाइकॉल की उच्च मात्रा पाई गई है। जानें इस मामले में और क्या जानकारी सामने आई है।
 

कफ सिरप से हुई बच्चों की मौत का मामला

Cough Syrup Death Case: हाल ही में मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप के सेवन से कई बच्चों की मौत की घटनाओं ने देशभर में चिंता का माहौल पैदा कर दिया है। छिंदवाड़ा जिले में किडनी फेल होने के कारण अब तक 14 बच्चों की जान जा चुकी है, जबकि राजस्थान में 4 बच्चों की मौत की सूचना मिली है। प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि इन बच्चों की मौत खतरनाक रसायनों वाले कफ सिरप के सेवन के कारण हुई है।


कोल्ड्रिफ सिरप पर प्रतिबंध

इस मामले में सबसे चर्चित कफ सिरप कोल्ड्रिफ है, जिसे श्रीसन फार्मास्युटिकल्स, कांचीपुरम द्वारा बनाया गया है। मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और केरल सरकार ने इसकी बिक्री और वितरण पर रोक लगा दी है। यह कदम बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।


कोल्ड्रिफ और नेक्सट्रो-डीएस पर बैन

न्यूज मीडिया के अनुसार, छिंदवाड़ा में प्रशासन ने कोल्ड्रिफ और खांसी की अन्य दवा नेक्सट्रो-डीएस की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। कोल्ड्रिफ की रिपोर्ट शनिवार को प्राप्त हुई, जबकि नेक्सट्रो-डीएस की रिपोर्ट अभी आनी बाकी है।


डाईथिलीन ग्लाइकॉल की मौजूदगी

मध्य प्रदेश सरकार के अनुरोध पर तमिलनाडु ड्रग्स कंट्रोल डिपार्टमेंट ने कोल्ड्रिफ के नमूनों की जांच की। अधिकारियों ने बताया कि दवा के नमूनों में 48.6 प्रतिशत डाईथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) पाया गया, जो अत्यधिक जहरीला है। DEG का उपयोग सामान्यतः एंटी फ्रीज और ब्रेक ऑइल में किया जाता है। इसके सेवन से किडनी फेल हो सकती है और यह जानलेवा साबित हो सकता है।


कोल्ड्रिफ सिरप को मिलावटी घोषित किया गया

श्रीसन फार्मास्युटिकल्स द्वारा निर्मित कोल्ड्रिफ सिरप के एक नमूने (बैच संख्या एसआर-13; निर्माण-मई 2025; समाप्ति: अप्रैल 2027) को मिलावटी घोषित किया गया। इसमें 48.6 प्रतिशत डाईथिलीन ग्लाइकॉल पाया गया, जो मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत खतरनाक है।


बच्चों की मौतों की संख्या

स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, छिंदवाड़ा में 14 बच्चों की मौत हुई, जिनमें से 11 परासिया उपमंडल में, 2 छिंदवाड़ा शहर में और 1 चौरई तहसील में था। अधिकारियों ने बताया कि 6 बच्चे अभी भी उपचाराधीन हैं, जिनमें 5 नागपुर और 1 छिंदवाड़ा में भर्ती है। नागपुर में भर्ती तीन बच्चों की स्थिति गंभीर बताई गई है। मृत बच्चों के परिजनों के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने चार-चार लाख रुपये की आर्थिक सहायता की घोषणा की है।


राजस्थान में भी मौतों का मामला

राजस्थान में अब तक 4 बच्चों की मौत कथित रूप से कफ सिरप पीने से हुई है। आरोप है कि केसन्स फार्मा द्वारा निर्मित खांसी की दवा डेक्सट्रोमेथॉर्फेन हाइड्रोब्रोमाइड बच्चों की मौत का कारण बनी। राज्य सरकार ने कंपनी की सभी 19 दवाओं की आपूर्ति पर रोक लगा दी है।


मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने मामले की गहन जांच और प्रभावी कार्रवाई के निर्देश दिए। वहीं, स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने जोधपुर में कहा कि राज्य में जिन दवाओं को बच्चों की मौत का कारण बताया जा रहा है, वे सुरक्षित हैं और इनमें कोई मिलावट या दोष नहीं पाया गया।