×

कम नींद के दुष्प्रभाव: भूलने की बीमारी का खतरा

आजकल की व्यस्त जीवनशैली के कारण कई लोग रात में नींद नहीं ले पा रहे हैं, जिससे उन्हें मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। लगातार कम नींद लेने से भूलने की बीमारी का खतरा बढ़ता है। इस लेख में हम नींद की कमी के कारणों और इसके दुष्प्रभावों पर चर्चा करेंगे। जानें कि कैसे दिमाग में प्रोटीन की वृद्धि नींद को प्रभावित करती है और क्यों 7 से 8 घंटे की नींद लेना आवश्यक है।
 

कम नींद और उसके प्रभाव

आज की दुनिया में लोगों की जीवनशैली में काफी बदलाव आया है, जिसके चलते कई व्यक्तियों को रात में नींद नहीं आती। यह समस्या उन्हें मानसिक तनाव में डाल सकती है। लगातार कम नींद लेने से भूलने की बीमारी का खतरा बढ़ सकता है। इस लेख में हम नींद की कमी से होने वाली समस्याओं पर चर्चा करेंगे।



रात में नींद न आने का मुख्य कारण हमारा दिमाग होता है। जब हमारा मस्तिष्क सक्रिय रहता है, तो नींद आना मुश्किल हो जाता है। कई बार दिमाग में चल रहे विचार और प्रोटीन की मात्रा बढ़ने के कारण भी नींद में कमी आती है, जिससे भूलने की बीमारी का खतरा बढ़ सकता है।


विशेषज्ञों के अनुसार, दिमाग में एमीलॉयड बीटा नामक प्रोटीन की वृद्धि से नींद में कमी आती है, जो कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है। इसलिए, यह आवश्यक है कि हम प्रतिदिन कम से कम 7 से 8 घंटे की नींद लें।