×

करनाल में सर्जरी के लिए लंबा इंतजार, सरकारी अस्पतालों पर बढ़ा दबाव

करनाल में गले, कान और नाक की समस्याओं के लिए आवश्यक सर्जरी के लिए मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। आयुष्मान भारत योजना के तहत निजी अस्पतालों में सर्जरी पर रोक के कारण मरीज सरकारी अस्पतालों की ओर बढ़ रहे हैं। ईएनटी विभाग में सीमित ऑपरेशन और बढ़ती मांग के कारण स्थिति गंभीर हो गई है। मरीजों को सर्जरी के लिए 3 से 4 हफ्ते का इंतजार करना पड़ रहा है, जिससे उनकी दैनिक जिंदगी प्रभावित हो रही है।
 

सर्जरी के लिए बढ़ती मांग और सीमित संसाधन

करनाल, (आयुष्मान भारत): गले में बार-बार संक्रमण, कान की सुनने की क्षमता में कमी, या बच्चों की सांस फूलने जैसी समस्याएं अब और भी परेशान करने वाली हो गई हैं। टॉन्सिलेक्टॉमी, एडेनॉयडेक्टॉमी और टायम्पेनोप्लास्टी जैसी आवश्यक सर्जरी के लिए मरीजों को एक महीने तक इंतजार करना पड़ रहा है। सरकार ने आयुष्मान भारत योजना के तहत निजी अस्पतालों में इन ऑपरेशनों पर रोक लगा दी है, जिसके कारण सभी मरीज सरकारी अस्पतालों की ओर दौड़ रहे हैं। नागरिक अस्पताल में ऐसे मरीजों को 3 से 4 हफ्ते बाद की तारीख मिल रही है।


नए मरीजों की संख्या में वृद्धि

रोज नए मरीज, सीमित ऑपरेशन


नागरिक अस्पताल के ईएनटी विभाग में वर्तमान में 5 से 6 मरीज पहले से सर्जरी का इंतजार कर रहे हैं। हर दिन 3 से 4 नए मरीज सर्जरी के लिए आ रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि हफ्ते में केवल बुधवार और शनिवार को ऑपरेशन होते हैं। इन दिनों अन्य विभागों की सर्जरी भी होती है, जिससे ईएनटी को कम समय मिलता है। एक दिन में केवल 2 से 3 ऑपरेशन ही किए जा पाते हैं। नतीजतन, मरीजों को गले, नाक और कान की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिससे उनकी दैनिक जिंदगी प्रभावित होती है। अस्पताल के रिकॉर्ड के अनुसार, तीन दिन पहले आए मरीज को अब कम से कम 6 दिन का इंतजार करना पड़ रहा है। आयुष्मान के छोटे ऑपरेशनों का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है।


सर्जरी की सीमित क्षमता

ओटी की क्षमता है सीमित


ऑपरेशन थियेटर की सीमित जगह और टीम की व्यस्तता के कारण मरीजों को और अधिक इंतजार करना पड़ रहा है। कई बार मरीज का बीपी या शुगर बढ़ जाने पर ऑपरेशन टालना पड़ता है। ऐसे मरीजों को अगली तारीख दी जाती है, जिससे हर हफ्ते वेटिंग लिस्ट और लंबी होती जाती है।


सर्जरी की आवश्यकता

ये तीनों सर्जरियां इसलिए जरूरी


टायम्पेनोप्लास्टी कान की झिल्ली के फटने पर की जाती है। एडेनॉयडेक्टॉमी बच्चों में सांस लेने में दिक्कत या खर्राटे आने पर नाक के पीछे बढ़े टिश्यू को हटाने के लिए की जाती है। टॉन्सिलेक्टॉमी बार-बार गले में संक्रमण या सांस रुकने की स्थिति में टॉन्सिल को हटाने की सर्जरी है।


इमरजेंसी मामलों की प्राथमिकता

इमरजेंसी केस पहले लेते हैं


गंभीर मरीजों की सर्जरी उसी हफ्ते कर दी जाती है। लेकिन ऑपरेशन केवल दो दिन होते हैं। एक दिन में 2 से 3 सर्जरी ही हो पाती हैं। बीपी या शुगर बढ़ने पर ऑपरेशन टालना पड़ता है, जिससे वेटिंग लिस्ट और बढ़ जाती है। -डॉ. घनश्याम जयवर्धन, ईएनटी विशेषज्ञ, जिला नागरिक अस्पताल