कर्नाटक में बाढ़ से प्रभावित किसान की शिकायत पर खड़गे का विवादास्पद बयान
कर्नाटक में बाढ़ का संकट
Karnataka floods: कर्नाटक के कलबुर्गी जिले में एक किसान ने अपनी बर्बाद फसल की समस्या लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के घर का रुख किया। वह लगातार हो रही बारिश के कारण हुए नुकसान के बारे में चर्चा करना चाहता था। लेकिन खड़गे की प्रतिक्रिया ने सभी को हैरान कर दिया।
वीडियो में खड़गे का बयान
वीडियो में सामने आया खड़गे का बयान
सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से फैल रहा है, जिसमें खड़गे किसान से पूछते हैं, "आप कितने एकड़ में खेती करते हैं?" जब किसान ने बताया कि उसने 4 एकड़ में फसल लगाई है, तो खड़गे ने अपनी स्थिति का हवाला देते हुए कहा, "मैंने 40 एकड़ में फसल बोई है और मेरी स्थिति तुमसे भी खराब है।" इसके बाद उन्होंने एक कहावत का उदाहरण देते हुए कहा कि यह वैसा ही है जैसे "जिसने तीन बच्चों को जन्म दिया हो, वह उस महिला के पास जाकर दुखड़ा रोए जिसने छह बच्चों को जन्म दिया हो।"
प्रचार के लिए न आएं
सिर्फ प्रचार के लिए मत आइए
खड़गे यहीं नहीं रुके। उन्होंने किसान को चेतावनी दी कि केवल प्रचार के लिए न आएं। उन्होंने कहा, "मैं जानता हूं कि फसलों को नुकसान हुआ है, लेकिन हमारी स्थिति आपसे भी अधिक गंभीर है। हमारे जैसे बड़े बागान मालिकों के लिए टिकना और भी कठिन है।" उनके इस बयान ने किसान और वहां मौजूद लोगों को चौंका दिया, और स्थानीय स्तर पर इसकी आलोचना भी शुरू हो गई।
कलबुर्गी में बाढ़ का प्रभाव
कलबुर्गी में भारी बारिश और बाढ़ से तबाही
कर्नाटक का कलबुर्गी क्षेत्र इस समय मूसलधार बारिश और बाढ़ से प्रभावित है। चित्तपुर तालुक सबसे अधिक प्रभावित हुआ है, जहां कंगन नदी उफान पर है। जिले के कई हिस्सों में किसानों की खड़ी चना, सोयाबीन, कपास और दाल की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं।
किसानों की राहत की मांग
किसानों ने की विशेष राहत पैकेज की मांग
क्षेत्र के किसान राज्य सरकार से अनुरोध कर रहे हैं कि कलबुर्गी को बाढ़ग्रस्त क्षेत्र घोषित किया जाए और विशेष राहत पैकेज प्रदान किया जाए। उनका कहना है कि इस बारिश ने उनकी पूरी आजीविका को बर्बाद कर दिया है और सरकारी सहायता के बिना वे अगली फसल तक नहीं पहुंच पाएंगे।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
राजनीतिक हलकों में बयान की आलोचना
मल्लिकार्जुन खड़गे का यह बयान न केवल संवेदनशीलता की कमी को दर्शाता है, बल्कि यह भी सवाल उठाता है कि क्या एक राष्ट्रीय नेता को किसान की शिकायत पर ऐसा तंज कसना चाहिए था? कई विपक्षी नेताओं और सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने इस बयान को असंवेदनशील करार दिया है।