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कर्नाटक में सामूहिक दफन मामले में नए रहस्य का खुलासा, खोपड़ियों की संख्या बढ़कर सात हुई

कर्नाटक के सामूहिक दफन मामले में हाल ही में दो और मानव खोपड़ियां मिली हैं, जिससे कुल संख्या सात हो गई है। जांच में नए सबूत सामने आए हैं, और अधिकारियों ने इन मौतों को आत्महत्या से जोड़ने की संभावना जताई है। यह मामला अब राजनीतिक विवाद का विषय बन गया है। जानें इस रहस्यमय मामले की पूरी कहानी और आगामी सुनवाई के बारे में।
 

सामूहिक दफन मामले में नए सबूत

बेंगलुरु: कर्नाटक के चर्चित सामूहिक दफन मामले में रहस्य और गहरा हो गया है। विशेष जांच दल (SIT) ने गुरुवार को तलाशी के दौरान दो और मानव खोपड़ियां खोज निकाली हैं। इस प्रकार, पिछले दो दिनों में बरामद खोपड़ियों की कुल संख्या सात हो गई है, जिससे पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया है। प्रारंभिक जांच में अधिकारियों ने इन मौतों को आत्महत्या से जोड़ने की संभावना जताई है, जो पहले के दावों से भिन्न है।


एसआईटी के सूत्रों के अनुसार, पुलिस, वन विभाग और एंटी-नक्सल फोर्स की एक संयुक्त टीम ने दक्षिण कन्नड़ जिले के बंगलगुद्दा रिजर्व फॉरेस्ट के घने जंगल में लगभग 12 एकड़ में तलाशी अभियान चलाया। बुधवार को पांच खोपड़ियां मिली थीं, जबकि गुरुवार को दो और प्राप्त हुईं। अधिकारियों ने बताया कि ये खोपड़ियां मध्यम आयु वर्ग के पुरुषों की प्रतीत होती हैं और अवशेष लगभग एक वर्ष पुराने हो सकते हैं। मौके से अन्य मानव अवशेषों के साथ एक लाठी भी बरामद की गई है।


यह मामला जुलाई में तब सामने आया जब सी.एन. चिन्नय्या, एक पूर्व सफाई कर्मचारी, ने दावा किया कि उसे 1995 से 2014 के बीच 100 से अधिक शवों को दफनाने के लिए मजबूर किया गया था। उसने बताया कि ये शव ज्यादातर महिलाओं और नाबालिगों के थे, जिन पर यौन हिंसा के निशान थे।


कर्नाटक सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए 19 जुलाई को डीजीपी प्रणब मोहंती के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया।


जांच में नया मोड़ तब आया जब 17 स्थानों पर खुदाई की गई, लेकिन कोई महत्वपूर्ण अवशेष नहीं मिले। अगस्त में कहानी ने एक नया मोड़ लिया जब मुख्य शिकायतकर्ता चिन्नय्या को झूठी गवाही देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।


यह मामला अब राजनीतिक रंग भी ले चुका है। भाजपा ने राज्य की कांग्रेस सरकार पर प्रसिद्ध मंदिर शहर धर्मस्थल की छवि को खराब करने का आरोप लगाया है, जबकि कांग्रेस इसे एक साजिश मानती है।


फिलहाल, सभी सात खोपड़ियों को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है, और रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के सही समय और कारण का पता चल सकेगा। इस बीच, कर्नाटक हाईकोर्ट भी मामले पर नजर रखे हुए है और अगली सुनवाई 26 सितंबर को होगी।