कार्तिक मास 2025: जानें इस पवित्र महीने में क्या करें और क्या न करें
कार्तिक मास का महत्व
Kartik month 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, 2025 में कार्तिक मास का आरंभ 8 अक्टूबर से हो चुका है और यह 5 नवंबर 2025 तक चलेगा। यह महीना भगवान श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है। शास्त्रों में उल्लेख है कि इस महीने में स्नान, दान, व्रत और पूजा करने से अनंत फल की प्राप्ति होती है।
धार्मिक नियमों का पालन
कार्तिक मास को धार्मिक दृष्टि से बहुत पुण्यकारी माना गया है, लेकिन इसमें कुछ नियमों का पालन न करने पर आर्थिक संकट और दुर्भाग्य का सामना करना पड़ सकता है। आइए जानते हैं इस पवित्र महीने में ध्यान रखने योग्य प्रमुख बातें।
तामसिक भोजन से बचें
तामसिक भोजन का सेवन न करें
शास्त्रों के अनुसार, इस महीने में मांस, मछली, अंडा, शराब और धूम्रपान का सेवन वर्जित है। यह समय सात्विक जीवन जीने और इंद्रियों पर नियंत्रण रखने का होता है। प्याज और लहसुन जैसे तामसिक पदार्थों से भी बचना चाहिए, क्योंकि ये मन की पवित्रता को नष्ट करते हैं और पूजा का फल व्यर्थ कर देते हैं।
तेल का उपयोग न करें
शरीर पर तेल लगाने से बचें
मान्यता के अनुसार, पूरे कार्तिक मास में शरीर पर तेल लगाना अशुभ माना जाता है। हालांकि, कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी (नरक चतुर्दशी) के दिन तेल स्नान करना शुभ माना जाता है। इसलिए, इस एक दिन को छोड़कर पूरे महीने तेल का उपयोग न करने की सलाह दी जाती है।
बाल और नाखून काटने से बचें
बाल और नाखून काटने की मनाही
कार्तिक माह संयम और साधना का प्रतीक है। इस दौरान बाल या नाखून काटने से शुभ फल में कमी आती है। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से पूजा-पाठ का प्रभाव घट जाता है और लक्ष्मी की कृपा कम हो सकती है।
भूमि शयन का महत्व
भूमि शयन करें, बिस्तर पर सोने से बचें
शास्त्रों में कार्तिक मास में भूमि शयन (जमीन पर सोना) का विशेष महत्व बताया गया है। यह तप और साधना का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा, इस महीने में दोपहर के समय सोना भी वर्जित है। ब्रह्मचर्य का पालन और ध्यान-पूजा में समय बिताना अत्यंत शुभ माना गया है।
सकारात्मकता बनाए रखें
निंदा, क्रोध और झगड़े से रहें दूर
कार्तिक मास में किसी की निंदा करना, झगड़ा करना या अपशब्द बोलना पाप के समान माना जाता है। इस पवित्र महीने में मन को शांत रखना, दूसरों का आदर करना और दान-पुण्य में समय लगाना ही सच्ची साधना मानी जाती है। गुरु, माता-पिता और स्त्रियों का सम्मान इस माह में विशेष फलदायी होता है।
धार्मिक मान्यता
Disclaimer: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिषीय गणनाओं पर आधारित है। Media House यहां दी गई जानकारी की किसी भी प्रकार की पुष्टि नहीं करता है।