किडनी रोग: भारत और पड़ोसी देशों में बढ़ती चिंता
किडनी रोग की गंभीरता
किडनी रोग एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती बनती जा रही है, जिसका प्रभाव विश्वभर में बढ़ता जा रहा है। भारत जैसे देशों में, जहां संक्रामक बीमारियों का सामना करना पड़ता है, किडनी रोग के आंकड़े अक्सर नजरअंदाज कर दिए जाते हैं। फिर भी, वैश्विक स्तर पर लगभग 800 से 850 मिलियन लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं।
हर 10 में से 1 व्यक्ति किडनी रोग से ग्रस्त
भारत में किडनी रोग का बोझ अत्यधिक बढ़ चुका है। हर 10 में से 1 भारतीय किडनी की बीमारी का शिकार है, और लगभग 5 लाख लोगों को डायलिसिस जैसी गंभीर चिकित्सा की आवश्यकता होती है। लैंसेट में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, भारत में लगभग 13.8 करोड़ लोग क्रॉनिक किडनी डिजीज (CKD) से पीड़ित हैं। यह बीमारी भारत में मृत्यु का आठवां सबसे बड़ा कारण मानी जाती है।
पड़ोसी देशों में किडनी रोग का बढ़ता प्रभाव
भारत के पड़ोसी देशों में किडनी रोग
भारत के पड़ोसी देशों में भी किडनी रोग की समस्या बढ़ रही है। बांग्लादेश, पाकिस्तान और नेपाल जैसे देशों में CKD के मरीजों की संख्या चिंताजनक है। बांग्लादेश में लगभग 14 प्रतिशत लोग CKD से प्रभावित हैं, जिसका मुख्य कारण अत्यधिक नमक का सेवन, प्रदूषित जल और सीमित स्वास्थ्य सेवाएं हैं।
पाकिस्तान में CKD का प्रचलन
पाकिस्तान में CKD का प्रचलन 12 प्रतिशत तक पहुंच गया है। वहां डायबिटीज की दर में तेजी से वृद्धि हो रही है, और प्रोसेस्ड फूड का अधिक सेवन इस समस्या को बढ़ा रहा है। स्वास्थ्य सेवाओं में असमानता और शुरुआती लक्षणों की अनदेखी स्थिति को और गंभीर बना देती है।
नेपाल में स्थिति
दक्षिण एशिया में नेपाल सबसे कम प्रभावित देश है, जहां CKD का प्रभाव लगभग 6 प्रतिशत है। हालांकि, स्वास्थ्य जांच की सीमित उपलब्धता के कारण कई मामलों की पहचान नहीं हो पाती। नेपाल के पहाड़ी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और बढ़ते ब्लड प्रेशर और डायबिटीज इस बीमारी को बढ़ावा दे रहे हैं।
किडनी रोग के मामलों में वृद्धि से निपटने के उपाय
बचाव के उपाय
किडनी रोग के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए दक्षिण एशिया में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और लोगों में जागरूकता फैलाना आवश्यक है। समय पर जांच और उपचार इस बीमारी को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।