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किसानों ने दशहरा नहीं मनाया, महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री को दी श्रद्धांजलि

किसानों ने दशहरा पर्व का बहिष्कार करते हुए महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को श्रद्धांजलि दी। बाढड़ा में चल रहे धरने के 79वें दिन किसानों ने सरकार की अनदेखी पर कड़ा विरोध जताया। उन्होंने बाढ़ से प्रभावित गांवों के लिए मुआवजे की मांग की और कहा कि मनरेगा के तहत सभी गांवों में काम उपलब्ध कराया जाए। जानें इस धरने की पूरी जानकारी और किसानों की मांगें।
 

किसानों के धरने का 79वां दिन


  • किसानों के धरने को सामाजिक संगठनों का समर्थन


Charkhi Dadri News। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर बाढड़ा बिजली कार्यालय परिसर में चल रहे धरने का 79वां दिन जारी रहा। इस धरने का उद्देश्य खरीफ 2023 कपास बीमा क्लेम में घोटाले की जांच और क्लेम प्राप्ति तक के संकल्प को लेकर है। धरने को संबोधित करते हुए श्योराण खाप पच्चीस के अध्यक्ष बिजेन्द्र बेरला और जाट नेता राजकुमार हड़ौदी ने सरकार की अनदेखी पर कड़ा विरोध जताया।


सरकार की कागजी कार्रवाई पर सवाल


धरने की अध्यक्षता ब्रहमपाल बाढड़ा और सतबीर भांडवा ने की। धरने में महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मनाई गई, जबकि दशहरा पर्व नहीं मनाने का निर्णय लिया गया। किसानों ने कहा कि उनकी फसल बर्बाद हो गई है और जिले के लगभग 35 गांव बाढ़ जैसी स्थिति का सामना कर रहे हैं।


किसानों और मजदूरों के लिए मुआवजे की मांग


किसानों ने सरकार से मांग की है कि पीडि़त किसानों के साथ-साथ मजदूरों को भी मुआवजा दिया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि मनरेगा के तहत सभी गांवों में काम उपलब्ध कराया जाए और 600 रुपये प्रतिदिन की दिहाड़ी दी जाए। इसके अलावा, जिन मजदूर परिवारों के घरों में दरारें आ गई हैं या घर ढह गए हैं, उन्हें पर्याप्त आर्थिक सहायता प्रदान की जानी चाहिए।


किसानों ने आरोप लगाया कि चुनाव आचार संहिता के चलते 2023 कपास बीमा क्लेम में कृषि विभाग के अधिकारियों ने 450 करोड़ रुपये के क्लेम को घटाकर 100 करोड़ रुपये कर दिया, जिससे 350 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ। हरियाणा में वर्ष 2022-23 में जहां फसल बीमा क्लेम 2497 करोड़ रुपये था, वहीं 2023-24 में यह केवल 224 करोड़ रुपये रह गया है, जो कि अन्यायपूर्ण है।