कुंडलिनी योग: मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी
योग का महत्व
हेल्थ कार्नर: योग एक प्राचीन भारतीय परंपरा है, जो सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए लाभकारी है। यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है, बल्कि मानसिक शांति भी प्रदान करता है। योगासनों, प्राणायाम और ध्यान के माध्यम से, व्यक्ति अपनी शारीरिक, मानसिक और आत्मिक समस्याओं का समाधान कर सकता है। कुंडलिनी योग विशेष रूप से शरीर की सुप्त शक्तियों को जागृत करने में सहायक है, जिससे ऊर्जा का संचार होता है।
कुंडलिनी योग की परिभाषा
कुंडलिनी योग ध्यान का एक विशेष रूप है, जो मन, शरीर और ज्ञानेंद्रियों के विभिन्न तकनीकों का समावेश करता है। यह ऊर्जा रीढ़ की हड्डी के भीतर सर्प के आकार में स्थित होती है, जो सभी चक्रों को जोड़ती है। इस योग में रीढ़ और एंडोक्राइन सिस्टम पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, जिससे शरीर के सात चक्रों को जागृत किया जा सकता है। कुंडलिनी योग न केवल आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी है।
कुंडलिनी योग का अभ्यास कैसे करें
कुंडलिनी योग का अभ्यास सुबह के समय करना सबसे अच्छा होता है। पहले मन को स्थिर करें और फिर दोनों भौंहों के बीच ध्यान लगाएं। पद्मासन या सिद्धासन में बैठकर बाएं पैर की एड़ी को जननेन्द्रियों के बीच रखें। इसके बाद दाएं हाथ के अंगूठे से दाएं नथुने को दबाकर धीरे-धीरे सांस बाहर निकालें। इस प्रक्रिया को करते समय अपनी नज़र को नाक के आगे रखें। कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने के लिए कम से कम एक घंटे का अभ्यास करें।
कुंडलिनी योग के लाभ
कुंडलिनी योग आत्मिक और मानसिक शांति प्रदान करता है। यह पाचन, रक्त संचार और ग्रंथियों के कार्य को सुधारता है। इसके अभ्यास से तनाव कम होता है और देखने की क्षमता में सुधार होता है।
यह ज्ञानेन्द्रियों को मजबूत बनाता है, जिससे सूंघने, देखने और स्वाद लेने की क्षमता बढ़ती है। कुंडलिनी योग धूम्रपान और शराब की लत को छोड़ने में मदद करता है, आत्मविश्वास बढ़ाता है और मन को शांति प्रदान करता है।
इसके अलावा, यह नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक में बदलता है, जिससे सकारात्मक दृष्टिकोण और भावनाएं उत्पन्न होती हैं। कुंडलिनी योग रोग-प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत करता है, जिससे शरीर कई बीमारियों से लड़ने में सक्षम होता है।