कृषि में जलवायु परिवर्तन के समाधान के लिए भारत-यूके का नया समझौता
कृषि में जलवायु परिवर्तन के लिए नई पहल
इंपीरियल कॉलेज लंदन और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बॉम्बे ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के अनुसार फसलों की खेती में किसानों की सहायता के लिए एक समझौता किया है। यह समझौता ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केयर स्टार्मर की मुंबई यात्रा से पहले हुआ है।
यह परियोजना 'भारत-यूके टेक्नोलॉजी सिक्योरिटी इनिशिएटिव' (टीएसआई) का हिस्सा है, जो क्वांटम तकनीक पर आधारित है। इसका मुख्य उद्देश्य मृदा में सूक्ष्मजीवों को सुधारना और सूखे तथा जलवायु परिवर्तन से प्रभावित क्षेत्रों में फसलों की सुरक्षा के लिए नए उपाय खोजना है।
पिछले वर्ष हस्ताक्षरित 'भारत-यूके टीएसआई' का एजेंडा मंगलवार को मुंबई में शुरू हो रहे ग्लोबल फिनटेक फेस्ट (जीएफएफ) 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति के दौरान प्रमुखता से रहेगा।
प्रमुख वैज्ञानिकों की भागीदारी
इंपीरियल कॉलेज लंदन के अध्यक्ष प्रोफेसर ह्यूग ब्रैडी, प्रधानमंत्री के प्रतिनिधिमंडल में शामिल होंगे।
इंपीरियल कॉलेज के डॉ. पो-हेंग (हेनरी) ली और आईआईटी बॉम्बे के डॉ. इंद्रजीत चक्रवर्ती की टीम पहले से ही मिट्टी में पौधों और बैक्टीरिया के बीच जटिल अंतःक्रियाओं का मॉडल बनाने के लिए क्वांटम कंप्यूटिंग का उपयोग कर रही है।
वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए नई दिशा
डॉ. ली ने कहा कि इस साझेदारी ने आईआईटी बॉम्बे की सूक्ष्मजीव पारिस्थितिकी और जीनोमिक्स में विशेषज्ञता को जैव सूचना विज्ञान और क्वांटम कंप्यूटिंग सिमुलेशन में इंपीरियल कॉलेज की क्षमताओं के साथ जोड़ा है।
उन्होंने यह भी बताया कि यह परियोजना वैश्विक खाद्य सुरक्षा और जलवायु से संबंधित तात्कालिक चुनौतियों का समाधान करने के लिए क्वांटम प्रौद्योगिकियों का मार्ग प्रशस्त करती है।