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केरल की ननों को मिली जमानत, छत्तीसगढ़ में सियासी हलचल

छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण के आरोप में गिरफ्तार केरल की दो ननों को जमानत मिल गई है। उनके स्वागत के लिए बीजेपी और कम्यूनिस्ट पार्टी के नेता पहुंचे। इस मामले ने राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है, जहां बीजेपी ने ननों को निर्दोष बताया है, जबकि कांग्रेस ने इसे चुनावी रणनीति करार दिया है। जानें इस मामले की पूरी कहानी और सियासी प्रतिक्रियाएँ।
 

केरल की ननों की रिहाई पर राजनीतिक स्वागत

केरल ननों का मामला: छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण के आरोप में गिरफ्तार की गई दो ननों को शनिवार को जमानत मिल गई। जमानत मिलने के बाद, बीजेपी और कम्यूनिस्ट पार्टी के नेताओं ने उनका स्वागत किया। इस मौके का एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें भाकपा सांसद पी. संतोष कुमार और केरल बीजेपी अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर सहित कई अन्य नेता शामिल हैं।


बजरंग दल की शिकायत पर गिरफ्तारी

जानकारी के अनुसार, केरल की ये ननें छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन से धर्मांतरण और मानव तस्करी के आरोप में बजरंग दल की शिकायत पर गिरफ्तार की गई थीं। इस मामले में एक आदिवासी युवक को भी गिरफ्तार किया गया था। सभी को बिलासपुर की एनआईए कोर्ट ने जमानत दे दी है, जिसमें उन्हें 50 हजार रुपये का बॉंड जमा करने का आदेश दिया गया है। इसके साथ ही, कोर्ट ने उनके पासपोर्ट भी जमा करने का निर्देश दिया है।


रेलवे अधिकारी की प्रतिक्रिया

रेलवे के एक अधिकारी के अनुसार, बजरंग दल के स्थानीय नेता की शिकायत पर नन प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस को दुर्ग रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया गया। साथ ही, स्थानीय आदिवासी युवक सुकमन मंडावी को भी पुलिस ने पकड़ा। यह मामला नारायणपुर के ओरछा की तीन आदिवासी लड़कियों की तस्करी और अवैध धर्मांतरण से जुड़ा हुआ है। बजरंग दल के स्थानीय नेता ने दोनों ननों के खिलाफ शिकायत की थी, जिसके बाद जीआरपी ने कार्रवाई की।


सियासी प्रतिक्रियाएँ

इस मामले ने अब राजनीतिक रंग ले लिया है। यह कार्रवाई बीजेपी शासित छत्तीसगढ़ में हुई है, जबकि केरल बीजेपी इन ननों को निर्दोष मान रही है। बीजेपी के इस रुख से सभी हैरान हैं, जबकि कांग्रेस ने इसे चुनावी रणनीति करार दिया है और बीजेपी को अवसरवादी बताया है।