गले की समस्याओं से राहत पाने के लिए योगासन
गले की समस्याएं और योग का महत्व
International Yoga Day: गले में खराश या बार-बार चोक होना एक सामान्य लेकिन परेशान करने वाली समस्या है। यह समस्या मौसम के बदलाव या आवाज के अत्यधिक उपयोग के दौरान और बढ़ जाती है। गले में भारीपन, बोलने में कठिनाई, और लगातार खांसी जैसी समस्याएं दैनिक जीवन को प्रभावित कर सकती हैं। अक्सर लोग इस समस्या से राहत पाने के लिए महंगी दवाओं का सहारा लेते हैं, लेकिन डॉ. हितेन्द्र के अनुसार, कुछ विशेष योगासन अपनाकर गले की समस्याओं से प्राकृतिक रूप से राहत पाई जा सकती है। ये आसन न केवल गले को खोलने में मदद करते हैं, बल्कि फेफड़ों को मजबूत करने और सांस की नली को साफ रखने में भी सहायक होते हैं। आइए जानते हैं डॉक्टर की सलाह अनुसार कौन-से योगासन हर व्यक्ति को अपनी दिनचर्या में शामिल करने चाहिए।
पद्मासन
पद्मासन का नियमित अभ्यास गले की नसों को आराम देता है और मानसिक तनाव को कम करता है। यह ध्यान और प्राणायाम के लिए एक उपयुक्त मुद्रा है, जिससे गले में जमी गंदगी धीरे-धीरे साफ होती है और गला खुलने लगता है।
ताड़ासन
ताड़ासन करने से शरीर सीधा रहता है और फेफड़ों में ऑक्सीजन का प्रवाह बेहतर होता है। इससे गले और श्वसन नली में फंसी रुकावट दूर होती है और आवाज भी स्पष्ट होती है।
ॐ उच्चारण
जो लोग अक्सर गले में खराश या भारीपन की शिकायत करते हैं, उन्हें नियमित रूप से ॐ का उच्चारण करना चाहिए। इससे उत्पन्न होने वाली कंपन गले की जकड़न को कम करती है। यह एक प्रकार की ध्वनि चिकित्सा है जो गले को खोलने में मदद करती है।
सिंहासन
सिंहासन जीभ बाहर निकालकर किया जाता है और यह गले, जबड़े और चेहरे के तनाव को कम करता है। यह गले के सभी हिस्सों को सक्रिय करता है और बैठी हुई आवाज को खोलने में मदद करता है।
हलासन
हलासन गले और गर्दन के हिस्से में रक्त संचार को बढ़ाता है, जिससे सूजन और जकड़न में राहत मिलती है। यह लंबे समय से बैठी आवाज या गले की बंदी में अत्यंत लाभकारी है।
किन चीजों से बचें?
डॉ. हितेन्द्र प्रकाश सिंह के अनुसार, गले से संबंधित समस्याओं से ग्रस्त लोगों को निम्नलिखित चीजों से बचना चाहिए:
- ठंडी चीजें जैसे कोल्ड ड्रिंक, आइसक्रीम आदि का सेवन न करें।
- भोजन के तुरंत बाद लेटना गले पर बुरा असर डालता है।
- खाना खाने के बाद कम से कम 1–2 घंटे तक बैठे रहें या हल्की चहलकदमी करें।