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गिलोय के अद्भुत लाभ: स्वास्थ्य के लिए एक प्राकृतिक उपाय

गिलोय, जिसे आयुर्वेद में अमृता कहा जाता है, विभिन्न बीमारियों के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ कैंसर, मधुमेह, आर्थराइटिस और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं में भी लाभकारी है। इस लेख में गिलोय के फायदों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है, जो आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकती है।
 

गिलोय: एक आयुर्वेदिक चमत्कार

हेल्थ कार्नर: आयुर्वेद में गिलोय, जिसे अमृता भी कहा जाता है, का उपयोग विभिन्न बीमारियों के उपचार में किया जाता है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक है। आइए, इसके फायदों के बारे में विस्तार से जानते हैं:



कैंसर:
गिलोय का सेवन कीमोथैरेपी और रेडियोथैरेपी के दुष्प्रभावों को कम करने में मदद करता है। सुबह-शाम 20 से 50 मिली रस का सेवन करने से पाचन में सुधार और रक्त कणिकाओं की कमी की समस्या दूर होती है।










मधुमेह:





गिलोय के तने, पत्तियों और जड़ों का उपयोग ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में किया जाता है। इसके पत्तों का 3 ग्राम चूर्ण या 250 मिली रस लेने से डायबिटीज से संबंधित अन्य समस्याओं का खतरा कम होता है।


आर्थराइटिस:
गिलोय को सौंठ और अदरक के साथ मिलाकर उपयोग करने से राहत मिलती है। गिलोय से बनी आयुर्वेदिक दवा के साथ इसके पत्तों को हल्का गर्म करके दर्द वाले स्थान पर लगाने से आराम मिलता है।



किडनी:
किडनी की समस्याओं में एक चम्मच गिलोय रस का सेवन सुबह-शाम लाभकारी होता है। संक्रमण के कारण जलन होने पर गिलोय के साथ पुनर्नवा, गोखरू और वरूण की छाल का चूर्ण लेना चाहिए।


हड्डी टूटने पर:
प्लास्टर के साथ गिलोयवटि या समसमनीवटि गोली लेने से टूटी हड्डी जल्दी जुड़ती है।


सोरायसिस:
गिलोय के पत्तों का लेप प्रभावित स्थान पर लगाने से लाभ होता है। इसके साथ कुटकी, कुटज, मंजिष्ठा और नीम की गोलियां भी ले सकते हैं।


वायरल इंफेक्शन:
इससे लिवर की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है, जिससे भूख कम लगती है। गिलोय बेल और तुलसी के पत्तों का काढ़ा इस स्थिति में फायदेमंद होता है।