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गुजरात का सहकारी मॉडल: महिला सशक्तीकरण में 43% की वृद्धि

गुजरात ने सहकारी मॉडल के माध्यम से महिला सशक्तीकरण में महत्वपूर्ण प्रगति की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुसार, महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना भारत की समृद्धि की कुंजी है। हाल के आंकड़ों के अनुसार, महिला नेतृत्व वाली डेयरी सहकारी समितियों की संख्या में 21% की वृद्धि हुई है, और दुग्ध संघों में महिलाओं की भागीदारी 25% तक पहुँच गई है। इसके अलावा, महिला संचालित समितियों का दैनिक राजस्व 25 करोड़ तक पहुँच गया है, जो 43% की वृद्धि को दर्शाता है। यह सब गुजरात में महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक सशक्तीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
 

महिलाओं की आत्मनिर्भरता के लिए सहकारी मॉडल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना है कि महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना भारत की आत्मनिर्भरता की कुंजी है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिला नेतृत्व को सशक्त करने के लिए उन्होंने सहकारी मॉडल को प्राथमिकता दी है। इसी दिशा में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में और मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल के नेतृत्व में गुजरात ने सहकारी क्षेत्र के माध्यम से महिला सशक्तीकरण को वास्तविकता में बदल दिया है। अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस के अवसर पर, गुजरात सरकार ने राज्य में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी के कई प्रेरणादायक आंकड़े साझा किए। 2020 से 2025 के बीच, महिला नेतृत्व वाली डेयरी सहकारी समितियों की संख्या 21% बढ़कर 3,764 से 4,562 हो गई है।


दुग्ध संघों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी

गुजरात के सहकारिता विभाग के आंकड़ों के अनुसार, दुग्ध संघों में महिलाओं की नेतृत्व भूमिका में वृद्धि हुई है। 2025 तक, दुग्ध संघों के बोर्ड में 82 निदेशकों में से 25% महिलाएं होंगी, जो नीति निर्धारण में उनकी सक्रिय भागीदारी को दर्शाता है। गुजरात की डेयरी सहकारी समितियों में महिलाओं की सदस्यता भी लगातार बढ़ रही है। लगभग 36 लाख दुग्ध उत्पादक सदस्यों में से लगभग 12 लाख महिलाएं हैं, जो कि 32% का प्रतिनिधित्व करती हैं।


ग्रामीण सहकारी समितियों में महिलाओं की भूमिका

इसी समयावधि में, ग्रामीण स्तर की सहकारी समितियों की प्रबंधन समितियों में महिलाओं की भागीदारी 14% बढ़ी है। इन समितियों में महिलाओं की संख्या 70,200 से बढ़कर 80,000 हो गई है। ये महिलाएं अब नीति निर्माण, संचालन और निगरानी जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रही हैं।


दुग्ध संग्रह में वृद्धि

अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस के अवसर पर, गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (GCMMF) द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, महिला संचालित दुग्ध सहकारी समितियों द्वारा दूध की खरीद 2020 में 41 लाख लीटर प्रति दिन से बढ़कर 2025 में 57 लाख लीटर प्रति दिन हो गई है, जो राज्य के कुल दूध खरीद का लगभग 26% है।


आर्थिक योगदान में वृद्धि

गुजरात में महिला संचालित दुग्ध समितियाँ अब न केवल सामाजिक बदलाव का प्रतीक बन चुकी हैं, बल्कि आर्थिक रूप से भी महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। 2020 में इन समितियों का अनुमानित दैनिक राजस्व 17 करोड़ था, जो वार्षिक रूप से लगभग ₹6,310 करोड़ तक पहुँचता था। पिछले पांच वर्षों में यह आंकड़ा बढ़कर 2025 में 25 करोड़ प्रतिदिन हो गया है, जिससे वार्षिक अनुमानित राजस्व 9,000 करोड़ के पार पहुँच गया है। इस अवधि में महिला संचालित समितियों के कारोबार में 2,700 करोड़ की वृद्धि हुई है, जो 43% की उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाती है। यह सफलता महिला सशक्तीकरण के सहकारी मॉडल की मजबूती का प्रमाण है।