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ग्रेटर नोएडा में छात्र की आत्महत्या के मामले में ब्लैकमेलर को 7 साल की सजा

ग्रेटर नोएडा में एक छात्र को सोशल मीडिया पर फर्जी पहचान बनाकर ब्लैकमेल करने के मामले में दोषी को 7 साल की सजा सुनाई गई है। छात्र ने मानसिक तनाव के कारण आत्महत्या कर ली थी। कोर्ट ने इस मामले में सख्त टिप्पणी की है कि सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं का मानसिक उत्पीड़न एक गंभीर अपराध है। जानें इस मामले की पूरी कहानी और न्यायालय के निर्णय के बारे में।
 

ग्रेटर नोएडा में ब्लैकमेलिंग का मामला

ग्रेटर नोएडा समाचार: एक छात्र को सोशल मीडिया पर फर्जी पहचान बनाकर प्रेमजाल में फंसाने और न्यूड वीडियो लीक करने की धमकी देने के मामले में कोर्ट ने दोषी को 7 साल की सजा सुनाई है। यह मामला ग्रेटर नोएडा का है, जहां अपर सत्र न्यायाधीश-त्वरित न्यायालय-द्वितीय ने अनिल बर्मन, जो जयपुर, राजस्थान का निवासी है, को सश्रम 7 साल की सजा सुनाई। इसके साथ ही, उस पर 20,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।


सोशल मीडिया का दुरुपयोग

बीटा-2 कोतवाली क्षेत्र का एक छात्र लॉ की पढ़ाई कर रहा था। उसने सोशल मीडिया पर एक फर्जी महिला प्रोफाइल से संपर्क किया, जो वास्तव में अनिल बर्मन द्वारा संचालित थी। बातचीत के दौरान, आरोपी ने छात्र के निजी फोटो और वीडियो रिकॉर्ड कर उसे लीक करने की धमकी देकर पैसे मांगने शुरू कर दिए।


छात्र की मानसिक स्थिति

जब छात्र मानसिक रूप से टूट गया, तो उसने एक सुसाइड नोट लिखा जिसमें अनिल बर्मन और एक कथित युवती प्रिया अग्रवाल का नाम था। उसने लिखा कि अब जीने की इच्छा नहीं बची और अपनी गलती को स्वीकार किया कि वह समय पर इस जाल को नहीं समझ सका।


पुलिस जांच और सबूत

23 मार्च 2024 को छात्र का शव डाकिया बाबा गोलचक्कर के पास नहर में मिला। उसने अपना मोबाइल फोन घर पर छोड़ दिया था, जिसमें धमकी भरे व्हाट्सएप संदेश मिले। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि प्रिया अग्रवाल के नाम से जो नंबर इस्तेमाल हो रहा था, वह वास्तव में अनिल बर्मन के पास था। पुलिस ने छात्र के बैंक खाते से अनिल के खाते में 20,000 रुपये से अधिक की रकम ट्रांसफर होने का प्रमाण भी पाया।


परिवार का दुख

मृतक छात्र अपने परिवार का इकलौता चिराग था। उसकी असामयिक मृत्यु ने उसके परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया। उसके माता-पिता ने न्याय की गुहार लगाई और अंततः उन्हें सफलता मिली।


न्यायालय की टिप्पणी

अदालत ने कहा कि सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं को फंसाना और उनका मानसिक उत्पीड़न करना एक गंभीर अपराध है। ऐसे मामलों में कठोरतम सजा दी जानी चाहिए ताकि समाज में भय और व्यवस्था का संदेश जाए।