ग्लूटेन इंटॉलरेंस: लक्षण, कारण और बचाव के उपाय
ग्लूटेन इंटॉलरेंस की समझ
स्वस्थ जीवन के लिए सही खान-पान बेहद महत्वपूर्ण है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, सभी व्यक्तियों को अपने आहार में पौष्टिक तत्वों, नट्स, बीज और साबुत अनाज को शामिल करना चाहिए। भारतीय भोजन में साबुत अनाज और चावल-रोटी आमतौर पर शामिल होते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ लोगों को इन सामान्य खाद्य पदार्थों से भी समस्या हो सकती है? विशेष रूप से, जिन खाद्य पदार्थों में ग्लूटेन होता है, उनका सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। इसे मेडिकल भाषा में ग्लूटेन इंटॉलरेंस कहा जाता है।
ग्लूटेन इंटॉलरेंस क्या है?
ग्लूटेन इंटॉलरेंस एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति ग्लूटेन नामक प्रोटीन को पचाने में कठिनाई महसूस करता है। यह प्रोटीन मुख्यतः गेहूं, जौ और राई में पाया जाता है। इसलिए, ऐसे व्यक्तियों को ब्रेड, पास्ता, रोटी और बिस्किट जैसे खाद्य पदार्थों से परहेज करना पड़ता है।
ग्लूटेन इंटॉलरेंस के आंकड़े
भारत में लगभग 6 से 8 मिलियन लोग सीलिएक डिजीज से प्रभावित हैं, जो ग्लूटेन इंटॉलरेंस का एक प्रकार है। यदि आप ग्लूटेन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं, तो आपको पेट में सूजन, गैस, डायरिया, कब्ज, पेट दर्द, थकान, कमजोरी और त्वचा पर चकत्ते जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
ग्लूटेन इंटॉलरेंस के कारण
ग्लूटेन इंटॉलरेंस, जिसे नॉन-सीलिएक ग्लूटेन सेंसिटिविटी भी कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर ग्लूटेन के प्रति असामान्य प्रतिक्रिया करता है। इसके कारण पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि पर्यावरणीय कारक, आंत का माइक्रोबायोम और आनुवंशिकता जैसे कई तत्व इसमें योगदान कर सकते हैं।
क्या आप भी हैं प्रभावित?
यदि आपको गेहूं या जौ से बनी चीजें खाने के बाद पेट में दर्द, दस्त, कब्ज, गैस या सिरदर्द की समस्या होती है, तो आपको सतर्क रहना चाहिए। कुछ व्यक्तियों को इन खाद्य पदार्थों के सेवन से त्वचा पर लाल चकत्ते भी हो सकते हैं। यदि यह समस्या बार-बार होती है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
ग्लूटेन इंटॉलरेंस के उपाय
सीलिएक डिजीज का पता लगाने के लिए सीरोलॉजिकल टेस्ट या आंतों की स्थिति का परीक्षण किया जाता है। यदि आपको ग्लूटेन इंटॉलरेंस है, तो आपको कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। इस समस्या का कोई इलाज नहीं है, लेकिन ग्लूटेन फ्री डाइट अपनाना ही एकमात्र उपाय है। ऐसे व्यक्तियों को गेहूं, जौ, राई और इनसे बने उत्पादों से दूर रहना चाहिए। इसके बजाय, चावल, मक्का, बाजरा, ज्वार और कुट्टू जैसे विकल्पों का सेवन करना बेहतर हो सकता है।