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चंडीगढ़ नगर निगम का 535 करोड़ रुपये का बजट घाटा, एमएचए से उम्मीदें

चंडीगढ़ नगर निगम को 535 करोड़ रुपये के बजट घाटे का सामना करना पड़ रहा है, जिसके लिए प्रशासन ने गृह मंत्रालय से 238 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बजट मांगा है। मंत्रालय की टीम शहर में बजट और प्रोजेक्ट्स की प्रेजेंटेशन देखेगी, जिसके बाद ही अतिरिक्त बजट की सिफारिश की जाएगी। नगर निगम को विकास कार्यों के लिए फंड की कमी का सामना करना पड़ रहा है, जिससे शहर के विकास पर असर पड़ सकता है।
 

चंडीगढ़ नगर निगम की वित्तीय स्थिति

चंडीगढ़ नगर निगम का 535 करोड़ रुपये का बजट घाटा, एमएचए से उम्मीदें: प्रशासन ने गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव को 238 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बजट मांगा है। यह तय होगा कि यह बजट मिलेगा या नहीं, इस पर निर्भर करेगा कि मंत्रालय के अधिकारियों को क्या प्रेजेंटेशन दी जाएगी।


चंडीगढ़ नगर निगम की स्थिति चिंताजनक


गृह मंत्रालय की टीम शहर में मौजूद है। मंगलवार को मंत्रालय के अधिकारी प्रशासन और नगर निगम के सभी विभागों के बजट, खर्चों और चल रहे प्रोजेक्ट्स की प्रेजेंटेशन देखेंगे। सभी विभागों ने सोमवार को प्रेजेंटेशन तैयार की है।


इसके बाद ही मंत्रालय के उच्च अधिकारी अतिरिक्त बजट देने की सिफारिश करेंगे। यदि अतिरिक्त बजट मिलता है, तो नगर निगम शहर में विकास कार्य करवा सकेगा। नगर निगम को राजस्व हेड से 960 करोड़ रुपये और पूंजी हेड पर 467 करोड़ रुपये खर्च करने हैं।


2024-25 के बजट में 78 करोड़ रुपये का घाटा, ठेकेदारों की पेमेंट के लिए 50 करोड़ रुपये और सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार कर्मचारियों का एरियर 15 करोड़ रुपये बनता है। नगर निगम को 2025-26 के बजट में 625 करोड़ रुपये की ग्रांट मिलने की उम्मीद है, जबकि अपनी कमाई से 410 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान है।


इस हिसाब से नगर निगम का 2025-26 का बजट 535 करोड़ रुपये घाटे में है। नगर निगम को ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 को लागू करने की जिम्मेदारी है। नगर निगम शहर के आवासीय और वाणिज्यिक क्षेत्रों से डोर टू डोर अपशिष्ट संग्रहण करता है। तरल अपशिष्ट प्रबंधन में, नगर निगम सीवर जल को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में उपचारित करके शहर के पार्कों में तृतीयक जल की आपूर्ति करता है।


हॉर्टिकल्चर अपशिष्ट संग्रहण और प्रसंस्करण का कार्य भी नगर निगम द्वारा किया जाता है। शहर में निर्माण और विध्वंस अपशिष्ट प्रबंधन को भी नगर निगम लागू कर रहा है। शहर की स्ट्रीट लाइट की रखरखाव और संचालन का कार्य भी नगर निगम ही करता है। फायर सर्विस भी नगर निगम के पास है। ऐसे में नगर निगम के पास खर्चों का अधिकांश कार्य है, लेकिन आय कम है।


नगर निगम के फंड की कमी के कारण 2024-25 में केवल 73 करोड़ रुपये आवश्यक प्रोजेक्ट पर खर्च किए गए, जबकि 2025-26 के बजट में प्रोजेक्ट के लिए 467 करोड़ रुपये खर्च किए जाने हैं। इसलिए बिजली विभाग के बचे 238 करोड़ रुपये नगर निगम को अतिरिक्त बजट के रूप में जारी किए जाने चाहिए।


सड़क पुनःपार्श्व के लिए 35 करोड़ रुपये की आवश्यकता


प्रशासन ने गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव को लिखे पत्र में उल्लेख किया है कि नगर निगम की 2025-26 में 960 करोड़ रुपये की प्रतिबद्ध देनदारी है। इसमें कर्मचारियों की सैलरी, पेंशन, एनपीएस योगदान, आउटसोर्स के वेतन, ईंधन, पानी और अन्य आवश्यक सेवाओं की आपात मरम्मत और स्ट्रीट लाइट के बिजली बिल शामिल हैं। नगर निगम शहर की 80 प्रतिशत सड़कें और पार्किंग की पुनःपार्श्व करवाता है।


इसमें वी3 से लेकर वी6 सड़कें शामिल हैं। वर्तमान में शहर की सड़कों की पुनःपार्श्व के लिए 35 करोड़ रुपये की आवश्यकता है। इसका कार्य 2022-23 से बकाया है। नगर निगम को ठेकेदारों को 50 करोड़ रुपये देने हैं। इसके बिना ठेकेदार काम करने को तैयार नहीं हैं।