चीन की ऊर्जा नीति: अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए स्वच्छ ऊर्जा में बढ़त
चीन की ऊर्जा उत्पादन में बढ़त
पिछले 15 वर्षों में, चीन ने बिजली उत्पादन के क्षेत्र में अमेरिका को पीछे छोड़ दिया है। यह आंकड़ा महत्वपूर्ण है, क्योंकि उभरती तकनीकों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का विकास बिजली पर निर्भर करता है। चीन का स्वच्छ ऊर्जा निवेश न केवल पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि 'ग्लोबल साउथ' की रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक दक्षिण के 70 प्रतिशत सौर और पवन संसाधन चीन की रणनीति से जुड़े हुए हैं।
ऊर्जा नीति का वैश्विक प्रभाव
आज की दुनिया में ऊर्जा नीति केवल आर्थिक निर्णय नहीं हैं, बल्कि वैश्विक दबदबे और वर्चस्व की कुंजी भी बन गई हैं। जबकि अमेरिका पुरानी ऊर्जा स्रोतों पर लौट रहा है, चीन स्वच्छ ऊर्जा क्रांति को आगे बढ़ा रहा है। यह विरोधाभास न केवल आर्थिक असंतुलन पैदा कर रहा है, बल्कि भविष्य की तकनीकों के विकास को भी प्रभावित कर रहा है।
अमेरिका की रणनीति और उसके परिणाम
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में, अमेरिका ने अलास्का में 44 अरब डॉलर का प्राकृतिक गैस प्रोजेक्ट शुरू किया। जनरल मोटर्स जैसी कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहनों की योजनाओं को रद्द कर रही हैं। यह सब तब हो रहा है जब दुनिया जलवायु परिवर्तन से जूझ रही है और नवीकरणीय ऊर्जा ही भविष्य का एकमात्र रास्ता समझा जा रहा है।
चीन की सफलता का रहस्य
चीन की सफलता का राज समन्वित प्रयास है। सीएल के सह-अध्यक्ष शिएन पैन के अनुसार, जब चीन किसी लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध होता है, तो समाज के हर पहलू—सरकार, नीति, निजी क्षेत्र—सभी एक ही दिशा में काम करते हैं। यह दृष्टिकोण अमेरिका की बिखरी नीतियों से बिल्कुल अलग है।
भविष्य की चुनौतियाँ
भारत जैसे देशों को भी इस दौड़ में शामिल होना चाहिए, ताकि वे न केवल पर्यावरण की रक्षा कर सकें, बल्कि आर्थिक स्वतंत्रता भी प्राप्त कर सकें। समय आ गया है कि दुनिया एकजुट होकर स्वच्छ ऊर्जा को अपनाए, अन्यथा इतिहास हमें माफ नहीं करेगा।