चीन की सैन्य परेड: शक्ति का नया केंद्र और भविष्य की भविष्यवाणी
भविष्यवाणी का मंच
यह केवल एक तस्वीर नहीं थी, बल्कि एक महत्वपूर्ण संकेत था। शी जिनपिंग, व्लादिमीर पुतिन और किम जोंग-उन बीजिंग में एक भव्य सैन्य परेड के दौरान मंच पर चढ़ते हुए दिखाई दिए। यह अवसर द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति की 80वीं वर्षगांठ का था। परेड में सेना की अनुशासित टुकड़ियाँ, राष्ट्रगान और सैनिकों का सामूहिक प्रदर्शन शामिल था। भाषणों का स्वर गंभीर था, और उपस्थित विश्व नेताओं में ईरान, पाकिस्तान और म्यांमार शामिल थे, जबकि पश्चिमी देशों की अनुपस्थिति ने एक अलग संदेश दिया।
नई शक्ति की परिभाषा
यह परेड केवल एक शो नहीं थी, बल्कि शक्ति का प्रदर्शन था। चीन ने न केवल सैनिकों की संख्या दिखाई, बल्कि अत्याधुनिक हथियारों का भी प्रदर्शन किया। इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें, हाइपरसोनिक वाहन और ड्रोन जैसे उपकरणों ने यह स्पष्ट किया कि चीन की औद्योगिक क्षमता अब वास्तविकता में बदल चुकी है।
राजनीतिक संदेश
शी जिनपिंग ने कहा, "चीन अजेय है," और उन्होंने शांति या टकराव के बीच चुनाव की चेतावनी दी। यह संदेश सीधे वॉशिंगटन की ओर था। उनके सत्ता में आने के बाद से, उन्होंने नियंत्रण को इतना केंद्रीकृत किया है कि यह माओ के समय के बाद से सबसे अधिक है।
रक्षा बजट में वृद्धि
पिछले तीन दशकों में, चीन का रक्षा बजट तेरह गुना बढ़ चुका है। पिछले बारह वर्षों में, उसने अमेरिका की बढ़त को आधा कर दिया है। जबकि अमेरिका अभी भी तीन गुना अधिक खर्च करता है, क्षेत्रीय स्तर पर चीन का खर्च जापान और दक्षिण कोरिया से कहीं अधिक है।
नई धुरी का निर्माण
शी, पुतिन और किम का एक साथ खड़ा होना एक संकेत है कि चीन नई धुरी का केंद्र बनने के लिए तैयार है। यह गठबंधन पश्चिम के टूटते गठबंधनों का विकल्प प्रस्तुत कर सकता है। हालांकि, यह देखना बाकी है कि यह धुरी कितनी स्थायी होगी।
भविष्य की दिशा
पश्चिम के लिए खतरा केवल चीन का उभार नहीं है, बल्कि यह भी है कि चीन अपने उत्थान को पश्चिम की अपेक्षा अधिक विश्वसनीयता से प्रस्तुत कर रहा है। बीजिंग में शक्ति और प्रदर्शन ने एक ही संदेश दिया है: इतिहास की पटकथा अब चीन के हाथ में है।