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चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे में बलूच समूहों से सीधी बातचीत की योजना

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) एक बार फिर चर्चा में है, क्योंकि चीन बलूचिस्तान में अपने निवेश की सुरक्षा के लिए बलूच समूहों से सीधे बातचीत करने की योजना बना रहा है। यह कदम पाकिस्तान की सेना को दरकिनार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण बदलाव है। बलूच विद्रोहियों द्वारा CPEC परियोजनाओं पर हमलों के चलते चीन ने यह निर्णय लिया है। जानें इस रणनीति के पीछे के कारण और इसके संभावित प्रभाव।
 

CPEC की नई रणनीति

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC), जो चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, एक बार फिर चर्चा में है। हाल की रिपोर्टों के अनुसार, चीन बलूचिस्तान में अपने 60 अरब डॉलर से अधिक के निवेश की सुरक्षा और CPEC परियोजनाओं की प्रगति को सुनिश्चित करने के लिए बलूच समूहों के साथ सीधे बातचीत करने की योजना बना रहा है। यह कदम पाकिस्तान की सेना और सरकार को दरकिनार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण बदलाव माना जा रहा है। हालांकि, इस संबंध में अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. 


CPEC और बलूच विद्रोह

CPEC, जो चीन के शिनजियांग प्रांत को पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से जोड़ने वाले सड़कों, रेलवे और पाइपलाइनों का एक विशाल नेटवर्क है, लंबे समय से बलूच विद्रोहियों के निशाने पर रहा है। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) जैसे समूहों ने बार-बार CPEC से जुड़ी परियोजनाओं, विशेष रूप से ग्वादर बंदरगाह और रेको डिक खनन परियोजना, पर हमले किए हैं। इन हमलों ने न केवल परियोजनाओं की प्रगति को बाधित किया है, बल्कि चीनी नागरिकों की सुरक्षा पर भी सवाल उठाए हैं। हाल के वर्षों में, बलूच विद्रोहियों ने चीनी कर्मियों और परियोजनाओं को निशाना बनाया है, जिसमें अक्टूबर 2024 में दो चीनी नागरिकों की हत्या भी शामिल है. 


चीन की नई रणनीति

खुफिया सूत्रों के अनुसार, चीन अब पाकिस्तानी सेना पर निर्भरता कम करने की रणनीति पर काम कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि बार-बार हमलों और पाकिस्तानी सेना की नाकामी से निराश होकर चीन ने बलूच समूहों से सीधे संपर्क करने का निर्णय लिया है। यह इरादा हाल ही में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ की बीजिंग यात्रा के दौरान औपचारिक रूप से व्यक्त किया गया। चीन का मानना है कि बलूचिस्तान के असली संरक्षक स्थानीय बलूच समुदाय हैं, और उनके साथ सकारात्मक संबंध स्थापित करना CPEC की सफलता के लिए आवश्यक है. 


पाकिस्तान को दरकिनार करने की रणनीति

चीन की यह रणनीति न केवल CPEC परियोजनाओं को गति देने के लिए है, बल्कि BRI के अन्य साझेदार देशों को यह संदेश देने के लिए भी है कि वह क्षेत्रीय स्थिरता और अपने निवेश की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। बलूच समूहों का आरोप है कि CPEC परियोजनाएं उनकी जमीन और संसाधनों का शोषण कर रही हैं, जबकि स्थानीय लोगों को इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा। ग्वादर बंदरगाह और अन्य परियोजनाओं के लिए बड़े पैमाने पर विस्थापन और पर्यावरणीय नुकसान की शिकायतें भी सामने आई हैं. 


CPEC की सुरक्षा के लिए चीन के कदम

चीन ने पहले भी CPEC की सुरक्षा के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमें अपने निजी सुरक्षा बलों को पाकिस्तान में तैनात करना और स्थानीय पुलिस चौकियों की स्थापना का प्रस्ताव शामिल है। हालांकि, इन प्रस्तावों को बलूच समुदाय ने सिरे से खारिज कर दिया है, क्योंकि उनका मानना है कि यह उनकी संप्रभुता को और कमजोर करेगा। बलूच विद्रोही समूहों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वे न तो पाकिस्तान और न ही चीन को अपने संसाधनों का "लूट" करने देंगे.