चुनाव आयोग का स्पष्ट बयान: आधार कार्ड केवल पहचान के लिए, वोटर लिस्ट में नाम नहीं हटेंगे
चुनाव आयोग का हलफनामा
नई दिल्ली - चुनाव आयोग ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत हलफनामे में स्पष्ट किया है कि मतदाता सूची तैयार करने की प्रक्रिया में आधार कार्ड का उपयोग केवल व्यक्ति की पहचान की पुष्टि के लिए किया जा रहा है। आयोग ने यह भी बताया कि आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है।
आयोग ने यह सुनिश्चित किया है कि केवल आधार कार्ड के आधार पर किसी व्यक्ति का नाम वोटर लिस्ट में जोड़ा या हटाया नहीं जाएगा। यह कदम मुख्य रूप से डुप्लिकेट नामों को हटाने और सही पहचान सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। हलफनामे में आयोग ने 8 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया था कि आधार का उपयोग पहचान सत्यापन के लिए किया जा सकता है। इसी संदर्भ में, आयोग ने बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को निर्देश दिए थे कि आधार कार्ड का उपयोग केवल पहचान के लिए किया जाए।
आयोग ने आधार अधिनियम की धारा 9 और जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 23(4) का उल्लेख करते हुए स्पष्ट किया कि आधार को नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जा सकता है। इसके अलावा, यह वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने या हटाने का आधार नहीं हो सकता। यह मुद्दा बिहार में मतुआ समुदाय और अन्य लोगों के बीच चिंता का कारण बना था, क्योंकि कई लोग पुराने दस्तावेजों की अनुपस्थिति में अपने नाम के कटने की आशंका व्यक्त कर रहे थे। हालांकि, आयोग ने स्पष्ट किया कि ऐसा नहीं होगा। पहचान की पुष्टि के लिए आधार के अलावा पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, राशन कार्ड जैसे अन्य दस्तावेज भी मान्य हैं।
चुनाव आयोग ने कहा कि उसका उद्देश्य एक पारदर्शी और सही मतदाता सूची तैयार करना है। किसी भी नागरिक का मतदान का अधिकार नहीं छीना जाएगा। बिहार में चल रही मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया में इन निर्देशों का सख्ती से पालन किया जाएगा। आयोग ने सभी राज्यों को भी निर्देश दिए हैं कि आधार का गलत उपयोग न किया जाए। यह कदम लोकतंत्र को मजबूत बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है।