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जापान में भूकंप का खतरा: वैज्ञानिकों और भविष्यवक्ताओं की चिंताएं बढ़ीं

जापान में भूकंप की संभावना को लेकर वैज्ञानिकों और भविष्यवक्ताओं की चेतावनियाँ बढ़ गई हैं। आधिकारिक रिपोर्ट्स के अनुसार, नानकाई ट्रफ क्षेत्र में भूकंप का खतरा 82% तक पहुंच गया है। रियो तात्सुकी की भविष्यवाणी के अनुसार, जापान और फिलीपींस के बीच समुद्र में एक विशाल दरार बनने की संभावना है, जिससे विनाशकारी भूकंप और सुनामी उत्पन्न हो सकती हैं। जानें इस स्थिति पर जापान सरकार की आपदा प्रबंधन योजना और विशेषज्ञों की चिंताएँ।
 

जापान में भूकंप की चेतावनी

Japan Earthquake Prediction: जापान एक बार फिर एक गंभीर आपदा के कगार पर खड़ा है। हाल की वैज्ञानिक रिपोर्टों और भविष्यवाणियों ने देश में भय का माहौल पैदा कर दिया है। जापान की आधिकारिक भूकंप अनुसंधान समिति ने आने वाले वर्षों में विनाशकारी भूकंप की संभावना को 82% तक बताया है। इसके साथ ही, जापानी भविष्यवक्ता रियो तात्सुकी की भविष्यवाणियाँ भी चिंता का विषय बन गई हैं।


नानकाई ट्रफ में हलचल और खतरे की बढ़ती संभावना

वैज्ञानिकों का मानना है कि नानकाई ट्रफ क्षेत्र, जो जापान के सबसे विनाशकारी भूकंपों का स्रोत रहा है, एक बार फिर गंभीर हलचलों का सामना कर रहा है। भूवैज्ञानिक रिपोर्टों के अनुसार, अगले तीन दशकों में 7 या उससे अधिक तीव्रता वाले भूकंप की संभावना 82% तक पहुंच गई है, जो पहले 75% थी। नानकाई ट्रफ एक सबडक्शन जोन है, जहां फिलीपींस सी प्लेट जापान की प्लेट के नीचे खिसक रही है। इस टकराव के कारण यहां बड़े भूकंप आते हैं।


भविष्यवक्ता रियो तात्सुकी की चेतावनी

रियो तात्सुकी, जिन्हें 'नया बाबा वेंगा' कहा जा रहा है, ने चेतावनी दी थी कि जापान और फिलीपींस के बीच समुद्र में एक विशाल दरार बनेगी, जिससे विनाशकारी भूकंप और सुनामी उत्पन्न होंगे। हालाँकि यह भविष्यवाणी वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित नहीं की जा सकती, लेकिन वैज्ञानिकों ने हाल ही में उसी क्षेत्र में हलचल दर्ज की है, जहां तात्सुकी ने चेतावनी दी थी। यह संयोग जापानी नागरिकों और अधिकारियों के बीच चिंता बढ़ा रहा है।


सरकार की आपदा प्रबंधन योजना पर सवाल

जापान सरकार ने 2014 में एक व्यापक भूकंप-प्रबंधन योजना बनाई थी, जिसका उद्देश्य संभावित आपदाओं में मृत्यु दर को 80% तक कम करना था। इस योजना के तहत तटबंध, निकासी भवनों का निर्माण, उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों की रीमैपिंग और आधुनिक अलर्ट सिस्टम तैयार किए गए थे। लेकिन नई रिपोर्टों के अनुसार, यह योजना केवल 20% तक ही प्रभावी साबित हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा भौगोलिक और भूगर्भीय परिस्थितियों को देखते हुए वर्तमान तैयारी पर्याप्त नहीं है।