जीरकपुर में सफाई व्यवस्था की स्थिति गंभीर, बलटाना की सड़क पर कूड़े का ढेर
जीरकपुर में सफाई व्यवस्था का संकट
जीरकपुर, चंडीगढ़: बलटाना क्षेत्र में पिछले तीन दिनों से कूड़ा नहीं उठाया गया है, जिससे स्थिति अत्यंत गंभीर हो गई है। आधा किलोमीटर लंबी सड़क अब कूड़े से भरी हुई है, जिससे यातायात बाधित हो गया है और आसपास की हवा में दुर्गंध फैल गई है। स्थानीय निवासियों ने नगर परिषद के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए चेतावनी दी है कि यदि सफाई नहीं हुई, तो वे कूड़े की ट्रॉलियां नगर परिषद कार्यालय में डाल देंगे।
स्थानीय लोगों की शिकायतें
बलटाना के निवासियों ने आरोप लगाया है कि यह सड़क कोई डंपिंग साइट नहीं है, लेकिन नगर परिषद ने इसे कूड़े का स्थान बना दिया है। उन्होंने कई बार लिखित शिकायतें दी हैं, लेकिन नगर परिषद के अधिकारी उनकी समस्याओं को नजरअंदाज कर रहे हैं।
निवासियों का कहना है कि नगर परिषद की यह जिम्मेदारी है कि वे सफाई करें, न कि उन्हें खुद जगह देने के लिए कहा जाए।
स्वास्थ्य पर खतरा
गांववासियों ने चिंता जताई है कि कूड़े के ढेर के कारण आसपास के स्कूलों के बच्चों और डिस्पेंसरी में आने वाले मरीजों की सेहत पर खतरा मंडरा रहा है। बदबू और मच्छरों के कारण बीमारियों का फैलने का डर है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि जीरकपुर नगर परिषद, जो पंजाब की सबसे महंगी नगर परिषद मानी जाती है, उसकी सफाई व्यवस्था पूरी तरह से विफल हो गई है।
सफाई कर्मचारियों की संख्या और वेतन
स्थानीय लोगों का कहना है कि नगर परिषद के पास 200 से अधिक सफाई कर्मचारी हैं, जिन पर हर महीने लगभग 18 लाख रुपये खर्च होते हैं। इसके बावजूद, नागरिकों को सफाई के लिए सड़कों पर उतरना पड़ रहा है।
यह ध्यान देने योग्य है कि 19 सितंबर से 2 अक्टूबर तक प्रधानमंत्री मोदी के जन्मोत्सव पर स्वच्छता पखवाड़ा मनाया गया था, लेकिन शहर के कई क्षेत्रों में कूड़े के ढेर नगर परिषद की लापरवाही को उजागर कर रहे हैं।
कूड़ा उठाने में देरी का कारण
सूत्रों के अनुसार, नगर परिषद में कूड़ा उठाने वाले ट्रैक्टर-ट्रॉली का टेंडर तीन दिन पहले समाप्त हो गया था, जिसके कारण पूरे शहर में कूड़ा नहीं उठाया गया। अब नगर परिषद ने डीसी मोहाली से विशेष अनुमति के लिए पत्र लिखा है।
मुख्य बिंदु
- बलटाना की सड़क पर आधा किलोमीटर तक कूड़ा फैला हुआ है।
- स्कूल और डिस्पेंसरी के पास गंदगी से बीमारी फैलने का खतरा है।
- नगर परिषद के पास 200 सफाई कर्मचारी हैं, जिन पर 18 लाख रुपये प्रति माह खर्च होता है।
- कूड़ा उठाने वाली ट्रॉलियों का टेंडर समाप्त होने से सफाई रुकी हुई है।
- स्थानीय लोगों ने चेतावनी दी है कि वे नगर परिषद कार्यालय में कूड़ा डालेंगे।