झारखंड में 2028 तक सभी घरों में नल का पानी पहुंचाने की योजना
जल जीवन मिशन की शुरुआत
रांची समाचार: झारखंड में 15 अगस्त 2019 को जल जीवन मिशन की शुरुआत की गई थी, जिसका उद्देश्य सभी ग्रामीण घरों, स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में नल से जल पहुंचाना है। इस योजना का कार्य दिसंबर 2028 तक पूरा करना है। अब तक झारखंड में 97,535 योजनाएं बनाई गई हैं, जिनमें से 56,332 योजनाएं सफलतापूर्वक पूरी हो चुकी हैं। 24,781 योजनाएं ग्राम समितियों को सौंप दी गई हैं, जबकि शेष योजनाओं को भी जल्द ही ग्राम समितियों को सौंपने की प्रक्रिया जारी है। झारखंड में कुल 29,398 गांव हैं, जिनमें से 6,963 गांवों को पूरी तरह से नल के जल से जोड़ा जा चुका है। राज्य के गांवों में 62,54,059 घर हैं, जिनमें से 34,42,332 घरों में नल से पानी की आपूर्ति की जा रही है।
मुखिया के साथ बैठक का महत्व
मुखिया के साथ करें बैठक
मुख्य सचिव अलका ने नल से जल योजना की समीक्षा बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे मिशन के कार्यों में समन्वय स्थापित करने के लिए सक्रिय रूप से भाग लें। उन्होंने कहा कि नियमित समीक्षा की जानी चाहिए और इलाके के मुखिया के साथ समय-समय पर बैठकें आयोजित की जानी चाहिए। इससे क्षेत्र की वास्तविक जानकारी प्राप्त होगी, जिसका सही उपयोग किया जा सकेगा। उन्होंने अधूरे कार्यों और पूर्ण भुगतान के मामलों को गंभीरता से लेने की बात कही और उनकी जांच कर उचित कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
हर जिले में इंजीनियरों की नियुक्ति
मिशन के लिए हर जिले में दो इंजीनियर
अलका ने उपायुक्तों को निर्देश दिया कि वे जब भी फील्ड में जाएं, जल जीवन मिशन के कार्यों का अवलोकन करें और आवश्यकतानुसार मौके पर ही समस्याओं का समाधान करें। जल जीवन मिशन की सफलता के लिए सभी उपायुक्तों को दो समर्पित इंजीनियर प्रदान किए जाएंगे, जो उपायुक्तों के अधीन कार्य करेंगे। मुख्य सचिव ने कहा कि एक तकनीकी सेल का गठन किया जाए, जिससे कार्यों की नियमित निगरानी की जा सके।
रख-रखाव की जिम्मेदारी
एजेंसी 5 साल तक रखेगी रख-रखाव
मुख्य सचिव ने बताया कि जल जीवन मिशन के तहत कार्यकारी एजेंसी को 5 साल तक रख-रखाव की जिम्मेदारी दी गई है। इस कारण छोटी-मोटी समस्याओं के समाधान में कोई देरी नहीं होनी चाहिए। यदि कोई एजेंसी इसमें विफल रहती है, तो उसके खिलाफ प्रस्ताव दिया जाएगा और मुख्यालय स्तर से त्वरित समाधान किया जाएगा। इसके अलावा, उपायुक्तों को निर्देश दिया गया कि वे जल जीवन मिशन के अधूरे कार्यों को पूरा कराने और पूरी हो चुकी योजनाओं को ग्राम समितियों को सौंपने का कार्य प्राथमिकता से करें।