ट्रंप ने आयातित दवाओं पर 100% शुल्क लगाने की घोषणा की
आयातित दवाओं पर नया शुल्क
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को घोषणा की कि आयातित ब्रांडेड और पेटेंट प्राप्त दवाओं पर 100% आयात शुल्क लगाया जाएगा। इस नीति के तहत, कंपनियों को अमेरिका में विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने की आवश्यकता होगी ताकि वे इस शुल्क से बच सकें। ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर लिखा, "मैं दवाओं पर 100% आयात शुल्क लगा रहा हूँ, बशर्ते कि कंपनियां अमेरिका में संयंत्र स्थापित न करें।" उन्होंने यह भी कहा कि यह समझौता निर्माणाधीन और नई शुरुआत के लिए है, जिसमें कोई अपवाद नहीं होगा।
यह कदम अमेरिका में घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और विदेशी कंपनियों पर निर्भरता को कम करने की ट्रंप की रणनीति का हिस्सा है। हालांकि, यह नीति विशेष रूप से ब्रांडेड दवाओं को लक्षित करती है, जिससे भारत जैसे देशों में चिंता बढ़ गई है, जो दवाओं के प्रमुख निर्यातक हैं।
आर्थिक प्रभाव और चिंताएँ
ट्रंप ने इस शुल्क के कानूनी आधार का उल्लेख नहीं किया, लेकिन उन्होंने कहा कि आयातित 'किचन कैबिनेट' और सोफों पर कर 'राष्ट्रीय सुरक्षा और अन्य कारणों' से आवश्यक है। यह नीति अमेरिकी अर्थव्यवस्था में नई अनिश्चितता ला सकती है, जिससे उपभोक्ताओं को उच्च कीमतों का सामना करना पड़ सकता है और नौकरियों पर भी असर पड़ सकता है। फेडरल रिज़र्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल ने हाल ही में चेतावनी दी थी कि उच्च कीमतें महंगाई में वृद्धि का एक बड़ा कारण बन सकती हैं।
ट्रंप ने कहा कि दवाओं पर यह शुल्क उन कंपनियों पर लागू नहीं होगा जो अमेरिका में संयंत्र स्थापित कर रही हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि पहले से मौजूद कारखानों पर यह कर कैसे लागू होगा। जनगणना ब्यूरो के अनुसार, अमेरिका ने 2024 में लगभग 233 अरब डॉलर की दवाएं आयात कीं, जिससे दवाओं की कीमतों में वृद्धि स्वास्थ्य खर्च को बढ़ा सकती है।
वैश्विक प्रतिक्रिया
इस घोषणा ने सभी को चौंका दिया है, क्योंकि पहले ट्रंप ने कहा था कि दवाओं पर कर धीरे-धीरे लागू होगा। व्हाइट हाउस ने बताया कि इस साल की शुरुआत में शुल्क की धमकी के बाद जॉनसन एंड जॉनसन, एस्ट्राजेनेका, रोशे, ब्रिस्टल मायर्स स्क्विब और एली लिली जैसी कंपनियों ने अमेरिका में निवेश का ऐलान किया। कनाडाई चेंबर ऑफ कॉमर्स ने चेतावनी दी है कि शुल्क से दवाओं की कीमतें तुरंत बढ़ेंगी, बीमा व्यवस्था और अस्पतालों पर दबाव बढ़ेगा, और मरीजों को दवाओं से वंचित होना पड़ सकता है।
ट्रंप ने कहा कि विदेशी ट्रक और पुर्ज़े घरेलू उद्योगों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। उन्होंने पीटरबिल्ट, केनवर्थ, फ्रेटलाइनर और मैक ट्रक्स जैसी कंपनियों को बाहरी व्यवधानों से बचाने की आवश्यकता पर जोर दिया। हालांकि, आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल से अब तक विनिर्माण से जुड़ी 42,000 नौकरियां समाप्त हो चुकी हैं।
विश्लेषकों की राय
विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट तात्कालिक व्यावसायिक जोखिम के बजाय बाजार की आशंकाओं को दर्शाती है। डॉ. विजयकुमार ने कहा कि निवेशक इसे दीर्घकालिक खतरे के बजाय अल्पकालिक उथल-पुथल के रूप में देख सकते हैं, खासकर इसलिए क्योंकि भारत की जेनेरिक दवाइयाँ अमेरिकी आयातों में प्रमुख हैं। विश्लेषक अमेरिकी व्यापार नीति में किसी भी बदलाव पर कड़ी नज़र रखने की सलाह देते हैं जो जेनेरिक दवाओं को सीधे प्रभावित कर सकता है।
हालांकि भारतीय दवा निर्यात पर तत्काल प्रभाव सीमित हो सकता है, लेकिन इस घोषणा ने नीतिगत बदलावों के प्रति वैश्विक बाजारों की संवेदनशीलता को उजागर किया है। आने वाले सप्ताह भारतीय निर्यातकों और निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण होंगे क्योंकि वे इस बात पर नज़र रखेंगे कि अमेरिका इस 100% टैरिफ को कैसे लागू करता है।