डब्ल्यूएचओ की चेतावनी: यूरोप में शराब से हर साल 8 लाख मौतें
शराब के घातक प्रभावों पर डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट
नई दिल्ली - विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने यूरोप में शराब के बढ़ते खतरनाक प्रभावों के बारे में गंभीर चेतावनी जारी की है। संगठन के अनुसार, हर साल लगभग 8 लाख लोग शराब से संबंधित बीमारियों और दुर्घटनाओं के कारण अपनी जान गंवा रहे हैं। यह आंकड़ा न केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक संकट को दर्शाता है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्तर पर भी गंभीर प्रभाव डालता है।
डब्ल्यूएचओ ने 2019 के आंकड़ों के आधार पर यह चौंकाने वाला तथ्य प्रस्तुत किया है। रिपोर्ट के अनुसार, यूरोप में लगभग 1,45,000 लोगों की मौत शराब पीकर लगी चोटों के कारण हुई। इसके अलावा, शराब का सेवन आपसी हिंसा से भी जुड़ा हुआ है, जिसमें हमले और घरेलू हिंसा शामिल हैं, और यह पूरे यूरोप में हिंसक चोटों से होने वाली मौतों का एक प्रमुख कारण है।
डब्ल्यूएचओ/यूरोप में अल्कोहल, गैर-कानूनी ड्रग्स और जेल हेल्थ की क्षेत्रीय सलाहकार कैरिना फरेरा-बोर्गेस ने कहा, “शराब एक विषैला पदार्थ है जो न केवल 7 प्रकार के कैंसर और अन्य गैर-संक्रामक बीमारियों का कारण बनता है, बल्कि यह निर्णय लेने की क्षमता और आत्म-नियंत्रण को भी प्रभावित करता है, जिससे प्रतिक्रिया समय धीमा होता है और जोखिम लेने की प्रवृत्ति बढ़ती है।”
शराब से होने वाली मौतों के प्रमुख कारणों में हृदय रोग, लिवर सिरोसिस, विभिन्न प्रकार के कैंसर (जैसे स्तन और आंत का कैंसर), सड़क दुर्घटनाएं, हिंसा और आत्महत्या शामिल हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि शराब का दुरुपयोग युवाओं और कामकाजी उम्र के लोगों में समय से पहले मौत का एक बड़ा कारण बन रहा है, जिससे देशों की उत्पादकता और स्वास्थ्य प्रणालियों पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है।
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि यूरोप उन क्षेत्रों में से एक है जहां प्रति व्यक्ति शराब की खपत सबसे अधिक है। कई देशों में शराब सामाजिक जीवन और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है, लेकिन इसके दुष्परिणाम अक्सर अनदेखे रह जाते हैं। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि “शराब की कोई भी मात्रा पूरी तरह सुरक्षित नहीं है,” क्योंकि यह कैंसर सहित कई गंभीर बीमारियों के जोखिम को बढ़ाती है।
डेटा से यह भी स्पष्ट होता है कि पूर्वी यूरोप में शराब का प्रभाव सबसे अधिक है। यहां शराब पीकर लगी चोटों के कारण होने वाली मौतों की संख्या पूरे यूरोप की तुलना में आधे से अधिक है, जबकि पश्चिमी और दक्षिणी यूरोप में यह आंकड़ा 20 प्रतिशत से भी कम है।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि शराब का प्रभाव केवल पीने वाले व्यक्ति तक सीमित नहीं है। घरेलू हिंसा, बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, और सामाजिक अस्थिरता जैसे मुद्दे भी इससे गहराई से जुड़े हैं। इसके अलावा, शराब से संबंधित बीमारियों के इलाज पर होने वाला खर्च सरकारों के लिए एक बड़ी आर्थिक चुनौती है। 2019 में यूरोप में लगभग 26,500 मौतें एक-दूसरे पर हमले के कारण हुईं, जिनमें से 40 प्रतिशत हिंसा की वजह शराब थी।
संगठन ने यूरोपीय देशों से शराब नियंत्रण के लिए सख्त नीतियों को अपनाने की अपील की है। प्रभावी उपायों में शराब पर कर बढ़ाना, विज्ञापनों और प्रायोजन पर रोक, बिक्री के समय और स्थान को सीमित करना, और लेबल पर स्वास्थ्य संबंधी स्पष्ट चेतावनियां शामिल हैं। इसके साथ ही, जन-जागरूकता अभियानों के माध्यम से यह संदेश देना आवश्यक है कि शराब का सेवन “कम जोखिम” नहीं, बल्कि “स्वास्थ्य जोखिम” से जुड़ा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि यदि सरकारें वैज्ञानिक साक्ष्यों पर आधारित नीतियों को लागू करें, तो आने वाले वर्षों में शराब से होने वाली मौतों और बीमारियों में काफी कमी लाई जा सकती है। रिपोर्ट इस बात पर जोर देती है कि शराब के प्रति सामाजिक सोच में बदलाव और मजबूत सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीतियां ही इस गंभीर संकट से निपटने का सबसे प्रभावी तरीका हैं।