डायबिटीज के खिलाफ गिलोय: एक प्राकृतिक उपाय
डायबिटीज का बढ़ता खतरा
डायबिटीज की समस्या: मधुमेह ने वैश्विक स्तर पर लाखों लोगों की जानें ले ली हैं। यह कई जटिलताओं का कारण बन सकता है और कई मामलों में यह जानलेवा साबित हो सकता है। आजकल की तेज़-तर्रार जीवनशैली, कार्यों के बीच की भागदौड़, नींद की कमी और व्यायाम की कमी हार्मोनल असंतुलन का कारण बनती है, जिससे मधुमेह जैसी बीमारियाँ उत्पन्न होती हैं।
स्वास्थ्य की देखभाल का महत्व
विशेषज्ञ डॉ. मनोज कुट्टी, जो 'एटमैंटन वेलनेस सेंटर' के कल्याण निदेशक हैं, का कहना है कि आज की महामारी के दौर में, मधुमेह या बॉर्डरलाइन डायबिटीज से ग्रस्त व्यक्तियों को अपने स्वास्थ्य की नियमित जांच करानी चाहिए।
मधुमेह के प्रकार
इंटरनेशनल डायबिटीज फाउंडेशन (IDF) के अनुसार, विश्व में 463 मिलियन लोग मधुमेह से प्रभावित हैं, जिनमें से 88 मिलियन दक्षिण पूर्व एशिया में हैं। मधुमेह मुख्यतः दो प्रकार का होता है: टाइप 1 और टाइप 2। टाइप 1 किसी भी उम्र में विकसित हो सकता है, जबकि टाइप 2 आमतौर पर वयस्कों में पाया जाता है और यह सभी मधुमेह मामलों का 90 प्रतिशत है।
गिलोय का महत्व
गिलोय, जिसे टीनोस्पोरा कॉर्डिफ़ोलिया के नाम से भी जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण औषधीय जड़ी बूटी है जो रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में सहायक होती है। इसे आमतौर पर आयुर्वेद में अमरता की जड़ के रूप में माना जाता है।
गिलोय के लाभ
गिलोय का उपयोग पाउडर, जूस या कैप्सूल के रूप में किया जा सकता है। यह एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-डायबिटिक और अन्य स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। इसके सेवन से रक्त शर्करा का स्तर नियंत्रित किया जा सकता है।
नींबू के रस के साथ गिलोय का ताजा जूस सुबह पीने से लाभ होता है।
गिलोय और मधुमेह
डॉ. मनोज कुट्टी बताते हैं कि गिलोय में ग्लूकोज को जलाने के गुण होते हैं, जिससे रक्त शर्करा का स्तर कम करने में मदद मिलती है। यह हाइपोग्लाइसेमिक एजेंट के रूप में कार्य करता है और शरीर में इंसुलिन के उत्पादन को बढ़ाने में सहायक होता है। एक अध्ययन के अनुसार, गिलोय की मधुमेह विरोधी गतिविधि इंसुलिन की तुलना में 40 से 80 प्रतिशत तक प्रभावी है।
पाचन स्वास्थ्य में सुधार
गिलोय पाचन तंत्र को बेहतर बनाने में मदद करता है और आंतों के स्वास्थ्य को सुधारता है। इसके विभिन्न रूप स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक हो सकते हैं।