डायलिसिस के प्रभाव और बेहतर विकल्प: जानें क्या करें
डायलिसिस: एक आवश्यक प्रक्रिया
डायलिसिस: आजकल की तेज़ जीवनशैली में खराब खानपान, तनाव, नींद की कमी और उच्च रक्तचाप जैसी समस्याएं किडनी पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं। किडनी का मुख्य कार्य शरीर से विषैले पदार्थों और अतिरिक्त तरल को बाहर निकालना है। जब किडनी 80-90% तक खराब हो जाती है, तो शरीर में विषाक्त पदार्थों का संचय होने लगता है, जिससे स्थिति गंभीर हो जाती है। ऐसे में डॉक्टर मरीज को डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह देते हैं।
डायलिसिस के बाद जीवनशैली में बदलाव
किडनी विशेषज्ञ डॉ. कुणाल गांधी के अनुसार, 'डायलिसिस के बाद मरीज की दिनचर्या में कई बदलाव आते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान शरीर से विषाक्त पदार्थ निकालने में कई घंटे लगते हैं, जिससे थकान महसूस हो सकती है। हालांकि, सही आहार, नींद और समय प्रबंधन के साथ व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है।' डायलिसिस सप्ताह में दो से तीन बार होती है और हर बार 3 से 4 घंटे तक चलती है, जिससे मरीज को अपने कार्य और व्यक्तिगत जीवन में संतुलन बनाना पड़ता है।
डायलिसिस का शारीरिक प्रभाव
डायलिसिस का शरीर पर असर
डायलिसिस के दौरान शरीर से केवल अपशिष्ट पदार्थ ही नहीं निकलते, बल्कि कुछ आवश्यक खनिज जैसे पोटैशियम, कैल्शियम और सोडियम भी कम हो सकते हैं। इससे मरीज को थकान, कमजोरी और चक्कर जैसी समस्याएं हो सकती हैं। डॉ. गांधी बताते हैं कि 'डायलिसिस के बाद थकान सामान्य है, लेकिन पौष्टिक आहार और पर्याप्त तरल पदार्थ के सेवन से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।' मरीज को नियमित रूप से डॉक्टर की सलाह के अनुसार डाइट चार्ट का पालन करना चाहिए, जिसमें प्रोटीन, फाइबर और कम नमक वाले खाद्य पदार्थ शामिल हों।
त्वचा और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
चेहरे और त्वचा पर बदलाव
लंबे समय तक डायलिसिस करवाने से शरीर के खनिज संतुलन में बदलाव होता है, जिससे त्वचा की रंगत फीकी पड़ सकती है। डॉक्टरों के अनुसार, 'डायलिसिस के कारण त्वचा पर सूखापन, खुजली या रैशेज की समस्या आम है। इसके लिए मॉइश्चराइजेशन और पर्याप्त हाइड्रेशन जरूरी है।' कई मरीज चेहरे पर सूजन या मुरझाने की शिकायत करते हैं, जो आत्मविश्वास को प्रभावित कर सकती है।
शारीरिक परिवर्तन के साथ-साथ डायलिसिस का मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है। हफ्ते में कई बार अस्पताल जाना, समय की कमी और थकावट जैसी स्थितियां व्यक्ति को तनाव या डिप्रेशन की ओर धकेल सकती हैं।
डॉक्टरों का कहना है कि 'लंबे समय तक डायलिसिस करवाने वाले मरीजों में चिंता और आत्म-सम्मान में कमी देखी गई है। परिवार और दोस्तों का भावनात्मक समर्थन इस समय बहुत ज़रूरी होता है।' मरीजों को ध्यान, योग, और हल्की एक्सरसाइज जैसी गतिविधियां अपनाने की सलाह दी जाती है, ताकि मानसिक शांति और शारीरिक ऊर्जा बनी रहे।
डायलिसिस का विकल्प: किडनी ट्रांसप्लांट
डायलिसिस से बेहतर ऑप्शन क्या है?
यदि किसी मरीज की किडनी की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है, तो किडनी ट्रांसप्लांट एक स्थायी समाधान हो सकता है। डॉक्टर बताते हैं कि सफल ट्रांसप्लांट के बाद व्यक्ति लगभग सामान्य जीवन जी सकता है। 'किडनी ट्रांसप्लांट के बाद मरीज को नियमित दवाएं और जांच करवानी होती हैं, लेकिन वह कामकाजी जीवन और यात्रा जैसे सामान्य कार्य आसानी से कर सकता है।'