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दिल्ली में युवा फेफड़ों की स्वास्थ्य समस्याएं: नई रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े

एक नई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दिल्ली में हर तीन में से एक युवा फेफड़ों की गंभीर समस्याओं का सामना कर रहा है। सीटी स्कैन के परिणामों से पता चलता है कि 20 और 30 वर्ष के युवाओं में ब्रोन्किइक्टेसिस, वातस्फीति और अन्य फेफड़ों की बीमारियों के लक्षण देखे जा रहे हैं। प्रदूषण, धूम्रपान और संक्रमण जैसे कारक इस समस्या को बढ़ा रहे हैं। जानें इस रिपोर्ट में और क्या जानकारी दी गई है।
 

फेफड़ों का स्वास्थ्य और प्रदूषण का प्रभाव

नई दिल्ली: फेफड़े हमारे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में से एक हैं, और इनमें होने वाली छोटी सी खराबी भी स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है। वर्तमान में, बढ़ते प्रदूषण का स्तर फेफड़ों के लिए अत्यधिक हानिकारक साबित हो रहा है। हाल ही में एक अध्ययन में यह सामने आया है कि दिल्ली की जहरीली हवा युवा फेफड़ों को नुकसान पहुंचा रही है।


रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा: एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में लगभग हर तीन में से एक युवा फेफड़ों में प्रारंभिक नुकसान का सामना कर रहा है। यदि इनका सीटी स्कैन किया जाए, तो फेफड़ों में नुकसान के लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं। ये लक्षण आमतौर पर वयस्कों में देखे जाते थे, लेकिन अब 20 और 30 वर्ष के युवाओं में भी यह समस्या बढ़ रही है, जो चिंता का विषय है।


रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में जिन युवाओं ने सीटी स्कैन कराया, उनमें से लगभग एक तिहाई के फेफड़ों में संरचनात्मक क्षति के लक्षण पाए गए हैं। 2024 में किए गए 4000 से अधिक सीटी स्कैन के परिणामों से पता चला है कि 20 और 30 वर्ष के व्यक्तियों में ब्रोन्किइक्टेसिस, वातस्फीति, फाइब्रोसिस और ब्रोन्कियल दीवारों के मोटे होने जैसी समस्याएं देखी गई हैं।


फेफड़ों में पाई गई समस्याओं के पीछे के कारण भिन्न-भिन्न हैं, लेकिन संक्रमण, प्रदूषण, धूम्रपान और वेपिंग जैसे कारक युवाओं में फेफड़ों की बीमारियों में वृद्धि का कारण बन रहे हैं।


स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि ये समस्याएं बड़े शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य जोखिमों को दर्शाती हैं। फेफड़ों की स्वास्थ्य समस्याओं का मुख्य कारण बाहरी और आंतरिक वायु प्रदूषण, तंबाकू का अधिक सेवन और सांस की बीमारियों का समय पर पता न चलना है। दिल्ली की हवा का प्रदूषण अक्सर अत्यधिक खराब होता है, जो इस समस्या का एक प्रमुख कारण हो सकता है।