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दोपहर के भोजन के बाद नींद: क्या यह स्वास्थ्य समस्या का संकेत है?

दोपहर के भोजन के बाद नींद आना एक सामान्य अनुभव है, लेकिन यह स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत भी हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह समस्या नियमित रूप से होती है, तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इस लेख में हम जानेंगे कि लंच के बाद नींद आने के पीछे के कारण क्या हैं, यह किन बीमारियों का संकेत हो सकता है, और इससे बचने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं।
 

दोपहर के समय नींद का अनुभव


नई दिल्ली: दोपहर होते ही कई लोगों को अचानक से आंखों में भारीपन और थकान का अनुभव होने लगता है। खासकर लंच के बाद, ऑफिस में काम करते समय, घर पर या यात्रा के दौरान नींद आना एक सामान्य बात मानी जाती है। अधिकांश लोग इसे आलस्य, अधिक खाने या थकान के कारण समझकर नजरअंदाज कर देते हैं।


लंच के बाद नींद का कारण

हालांकि, स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यदि लंच के बाद नींद और थकान एक नियमित समस्या बन जाए, तो इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। यह कई बार शरीर में चल रही किसी गड़बड़ी का संकेत हो सकता है। इसलिए यह जानना आवश्यक है कि लंच के बाद बार-बार नींद क्यों आती है और यह किन स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकती है।


खाने के बाद शरीर में होने वाले परिवर्तन

भोजन के बाद, शरीर का ध्यान पाचन प्रक्रिया पर केंद्रित हो जाता है। इस दौरान, पाचन अंगों की ओर रक्त प्रवाह बढ़ जाता है, जिससे मस्तिष्क तक पहुंचने वाला रक्त कम हो जाता है। यही कारण है कि भारीपन, थकान और नींद का अनुभव होता है। इसे मेडिकल भाषा में पोस्ट लंच डिप कहा जाता है। यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, लेकिन कुछ कारणों से इसका प्रभाव बढ़ सकता है।


कार्बोहाइड्रेट का प्रभाव

यदि लंच में चावल, आलू, सफेद ब्रेड, मैदा या अधिक मीठी चीजें शामिल हैं, तो रक्त शर्करा तेजी से बढ़ता है और फिर अचानक गिर जाता है। इस उतार-चढ़ाव के कारण शरीर थका हुआ महसूस करता है और नींद आने लगती है। इसके अलावा, भोजन के बाद कुछ हार्मोन सक्रिय हो जाते हैं जो आराम का संकेत देते हैं, जिससे शरीर रिलैक्स मोड में चला जाता है। यदि रात में नींद पूरी नहीं हुई हो, तो यह समस्या और भी बढ़ सकती है।


नींद आना किस बीमारी का संकेत हो सकता है?

डॉक्टरों के अनुसार, यदि लंच के बाद लगातार तेज नींद, भारीपन और थकान महसूस होती है, तो यह इन्सुलिन रेजिस्टेंस का प्रारंभिक लक्षण हो सकता है। इस स्थिति में, शरीर शुगर को ऊर्जा में सही तरीके से परिवर्तित नहीं कर पाता।


भोजन के बाद रक्त शर्करा तेजी से बढ़ता है और इसे नियंत्रित करने के लिए शरीर अधिक इंसुलिन रिलीज करता है। कुछ समय बाद, यही प्रक्रिया थकान, कमजोरी और नींद का कारण बनती है। विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय तक इन्सुलिन रेजिस्टेंस रहने से डायबिटीज, हृदय रोग और कुछ मामलों में कैंसर का खतरा भी बढ़ सकता है। कभी-कभी, फास्टिंग शुगर सामान्य होने के बावजूद यह समस्या शुरू हो जाती है, इसलिए इसे साइलेंट मेटाबॉलिक प्रॉब्लम भी कहा जाता है।


इस समस्या से बचने के उपाय

विशेषज्ञों का सुझाव है कि लंच के बाद नींद से बचने के लिए भोजन को हल्का और संतुलित रखें। फाइबर और प्रोटीन से भरपूर आहार लें और अधिक मीठे व रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट से बचें। भोजन के तुरंत बाद लेटने के बजाय 10 से 15 मिनट टहलना फायदेमंद होता है। इसके साथ ही, नियमित व्यायाम, वजन को नियंत्रित रखना और पर्याप्त नींद लेना इस समस्या को काफी हद तक कम कर सकता है।