नई गाड़ी में भगवान की मूर्ति रखने के लाभ और सही विकल्प
नई गाड़ी में भगवान की मूर्ति रखने का महत्व
आपने देखा होगा कि कई लोग अपनी नई गाड़ी में भगवान की मूर्ति या तस्वीर लगाते हैं, ताकि उनकी यात्रा सुरक्षित और शुभ हो। वास्तु शास्त्र के अनुसार, वाहन में भगवान की प्रतिमा रखना विशेष महत्व रखता है। इस लेख में, हम जानेंगे कि नई गाड़ी के डैशबोर्ड पर किस भगवान की मूर्ति रखनी चाहिए और उसे कैसे स्थापित करना चाहिए।
भगवान की मूर्ति रखने का कारण
नई गाड़ी में भगवान की मूर्ति रखना न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा है, बल्कि इसके पीछे वास्तु और ज्योतिष के कारण भी हैं। हिंदू धर्म में किसी भी नए कार्य की शुरुआत भगवान के आशीर्वाद से करना शुभ माना जाता है। नया वाहन खरीदना एक महत्वपूर्ण निर्णय है, जिसे लोग अक्सर समृद्धि और सुरक्षा का प्रतीक मानते हैं। इस प्रकार, वाहन में भगवान की मूर्ति रखने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
किस भगवान की मूर्ति रखनी चाहिए
लोग अक्सर पूछते हैं कि नई गाड़ी में किस देवता की मूर्ति रखनी चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार, हनुमानजी, गणेश जी, मां दुर्गा और आदियोगी की मूर्ति रखना शुभता और सुरक्षा के लिए उत्तम माना जाता है।
गणेश जी की मूर्ति
गाड़ी के डैशबोर्ड पर गणेश जी की मूर्ति रखना चाहिए। उन्हें शुभता और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है। गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है, जो सभी बाधाओं को दूर करते हैं। उनकी मूर्ति का मुख सीधा होना चाहिए और वाहन की दिशा की ओर होना चाहिए, ताकि उनकी दृष्टि हमेशा आगे की ओर बनी रहे।
हनुमान जी की मूर्ति
यदि आप वाहन दुर्घटनाओं से सुरक्षित रहना चाहते हैं, तो गाड़ी के डैशबोर्ड पर हनुमान जी की छोटी मूर्ति या तस्वीर रखना शुभ है। हनुमान जी को बल, बुद्धि और विजय का प्रतीक माना जाता है। लंबी यात्रा पर निकलते समय उनका स्मरण आपकी यात्रा को सुरक्षित बनाता है।
आदियोगी की मूर्ति
गाड़ी के डैशबोर्ड पर आदियोगी शिव की मूर्ति रखना मानसिक और आध्यात्मिक रूप से सकारात्मक अनुभव प्रदान करता है। आदियोगी शिव को योग का जनक माना जाता है। उनकी मूर्ति रखने से मन को शांति और स्थिरता मिलती है, जो वाहन चलाते समय बेहद उपयोगी होती है।
मां दुर्गा की मूर्ति
गाड़ी के डैशबोर्ड पर मां दुर्गा की मूर्ति रखना चाहिए। मां दुर्गा शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक मानी जाती हैं। महिलाएं अपनी गाड़ी में मां दुर्गा की मूर्ति रखना शुभ मानती हैं, क्योंकि इससे आत्मविश्वास और आत्मबल में वृद्धि होती है।