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नीतीश कुमार का बड़ा ऐलान: विकास मित्रों को टैबलेट खरीदने के लिए मिलेंगे 25 हजार रुपये

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विकास मित्रों के लिए एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। उन्होंने टैबलेट खरीदने के लिए 25 हजार रुपये देने का निर्णय लिया है, जिससे वे कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों का डेटा संग्रह कर सकें। इसके अलावा, परिवहन और स्टेशनरी भत्ते में भी वृद्धि की गई है। मुख्यमंत्री ने विकास मित्रों की सराहना करते हुए कहा कि वे समाज के वंचित वर्गों के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। शिक्षा सेवकों के लिए भी स्मार्टफोन खरीदने के लिए राशि बढ़ाई गई है। इस फैसले से विकास मित्रों का मनोबल बढ़ेगा और वे अपने कार्यों को और बेहतर तरीके से कर सकेंगे।
 

मुख्यमंत्री का नया निर्णय

नीतीश कुमार का बड़ा ऐलान: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। उन्होंने बिहार महादलित विकास मिशन के अंतर्गत कार्यरत सभी विकास मित्रों को टैबलेट खरीदने के लिए 25 हजार रुपये देने का निर्णय लिया है। यह कदम कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों का डेटा संग्रह करने और अन्य कार्यों में सहायता प्रदान करेगा। इसके साथ ही, विकास मित्रों का परिवहन भत्ता 1900 रुपये से बढ़ाकर 2500 रुपये प्रति माह और स्टेशनरी भत्ता 900 रुपये से बढ़ाकर 1500 रुपये प्रति माह करने का भी निर्णय लिया गया है। इससे उन्हें क्षेत्र में यात्रा करने और दस्तावेज़ इकट्ठा करने में सुविधा होगी।


विकास मित्रों की सराहना

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने X हैंडल पर ट्वीट करते हुए विकास मित्रों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि ये मित्र न्याय और विकास के सिद्धांतों के अनुसार समाज के वंचित वर्गों के उत्थान के लिए बिहार सरकार के साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्गों तक सरकार की विकास योजनाओं को पहुंचाने में विकास मित्रों की महत्वपूर्ण भूमिका है। वे महादलित, दलित, अल्पसंख्यक और अति पिछड़ा वर्ग के बच्चों को शिक्षा का लाभ दिलाने और अक्षर आंचल योजना के तहत महिलाओं को साक्षर बनाने में भी योगदान दे रहे हैं।


शिक्षा सेवकों के लिए नई पहल

मुख्यमंत्री ने शिक्षा सेवकों (तालिमी मरकज सहित) के लिए भी एक नई घोषणा की है। उन्होंने डिजिटल गतिविधियों के लिए स्मार्टफोन खरीदने के लिए 10-10 हजार रुपये देने का निर्णय लिया है। इसके अलावा, शिक्षण सामग्री खरीदने के लिए दी जाने वाली राशि को 3405 रुपये से बढ़ाकर 6000 रुपये प्रति केंद्र प्रति वर्ष करने का भी फैसला किया गया है। इससे विकास मित्रों और शिक्षा सेवकों का मनोबल बढ़ेगा और वे अपने कार्यों को और अधिक उत्साह और लगन से पूरा करेंगे, जिससे सरकार को भी लाभ होगा।