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नेत्र स्वास्थ्य में निवेश से भारत की अर्थव्यवस्था को होगा बड़ा लाभ

एक नए अध्ययन के अनुसार, भारत यदि नेत्र स्वास्थ्य में निवेश करता है, तो यह अपनी अर्थव्यवस्था में हर साल 3.6 लाख करोड़ रुपये जोड़ सकता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 70 करोड़ लोग दृष्टि हानि से प्रभावित हैं, जिसे रोका जा सकता है। आई केयर इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना दीर्घकालिक विकास के लिए आवश्यक है। जानें तुला की प्रेरणादायक कहानी और वैश्विक दृष्टि हानि की समस्या के बारे में।
 

नेत्र स्वास्थ्य पर निवेश का महत्व

एक नए अध्ययन के अनुसार, भारत यदि स्कूलों में नेत्र जांच और त्वरित चश्मा वितरण जैसे बुनियादी उपायों में निवेश करता है, तो यह अपनी अर्थव्यवस्था में हर साल 3.6 लाख करोड़ रुपये जोड़ सकता है। यह रिपोर्ट इंटरनेशनल एजेंसी फॉर द प्रिवेंशन ऑफ ब्लाइंडनेस (IAPB), सेवा फाउंडेशन और फ्रेड हॉलोज फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित की गई है, जिसमें कहा गया है कि नेत्र स्वास्थ्य में प्रति 1 रुपये के निवेश पर 16 रुपये का आर्थिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है।


दृष्टि हानि की समस्या

70 करोड़ लोग दृष्टि हानि से प्रभावित

रिपोर्ट में बताया गया है कि 22,100 करोड़ रुपये के निवेश से भारत को 3.6 लाख करोड़ रुपये का वार्षिक लाभ मिल सकता है। इसमें उत्पादकता में 2.27 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि, 78,700 करोड़ रुपये की रोजगार वृद्धि और 40,800 करोड़ रुपये की देखभाल लागत में कमी शामिल है। भारत में लगभग 70 करोड़ लोग ऐसी दृष्टि हानि से ग्रस्त हैं, जिसे रोका जा सकता है। यह स्थिति न केवल व्यक्तिगत आय और शिक्षा को प्रभावित करती है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य और देखभाल के बोझ को भी बढ़ाती है, खासकर महिलाओं पर।


आई केयर इंफ्रास्ट्रक्चर का महत्व

आई केयर इंफ्रास्ट्रक्चर से उड़ान भरेगी भारत की इकोनॉमी

IAPB के सीईओ पीटर हॉलैंड ने कहा, "नेत्र जांच, चश्मा वितरण और मोतियाबिंद सर्जरी जैसे किफायती उपायों से अधिकांश दृष्टि हानि को रोका जा सकता है। यह न केवल स्वास्थ्य सुधार है, बल्कि भारत के भविष्य में निवेश है।" मिशन फॉर विजन की मुख्य कार्यकारी एलिजाबेथ कुरियन ने कहा कि नेत्र देखभाल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना भारत के दीर्घकालिक विकास और समावेशन लक्ष्यों के लिए आवश्यक है।


तुला की प्रेरणादायक कहानी

चश्मा मिलने के बाद 19 साल की तुला ने फिर से शुरू की पढ़ाई

रिपोर्ट में महाराष्ट्र की 19 वर्षीय तुला की कहानी का उल्लेख है, जिन्हें स्थानीय नेत्र शिविर में चश्मा मिलने के बाद अपनी पढ़ाई फिर से शुरू करने का अवसर मिला। यह उदाहरण दर्शाता है कि बुनियादी नेत्र देखभाल जीवन और आजीविका को कैसे बदल सकती है। रिपोर्ट में छह प्रमुख प्राथमिकताएं दी गई हैं: सामुदायिक जांच, तत्काल चश्मा वितरण, आई हेल्थ टास्क फोर्स का विस्तार, सर्जिकल उत्पादकता में सुधार, लागत और सामाजिक कलंक जैसे अवरोधों को कम करना, और मोतियाबिंद सर्जरी के मानकों को बढ़ाना।


वैश्विक दृष्टि हानि की समस्या

लव योर आइज़: एक वैश्विक मुहिम

वैश्विक स्तर पर लगभग 1 अरब लोग ऐसी दृष्टि हानि से जूझ रहे हैं, जिसे रोका जा सकता है। IAPB की "लव योर आइज़" मुहिम व्यक्तियों और संस्थानों से नियमित नेत्र जांच को प्राथमिकता देने और इसे राष्ट्रीय विकास रणनीतियों में शामिल करने का आग्रह करती है। हॉलैंड ने कहा, "नियमित नेत्र जांच आर्थिक उत्पादकता, शिक्षा और जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने का सबसे सरल और किफायती तरीका है।"