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नेपाल में Gen-Z प्रदर्शन के बाद मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

नेपाल में Gen-Z ने हाल ही में एक बड़ा प्रदर्शन किया, जिसने सरकार में बदलाव का कारण बना। हालांकि, इस आंदोलन का युवाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं। डॉक्टरों का कहना है कि प्रदर्शन के बाद चिंता और अनिद्रा जैसी समस्याएं आम हो गई हैं। कई बच्चे और किशोर इस तनावपूर्ण माहौल से प्रभावित हो रहे हैं, जिससे उनकी मानसिक स्थिति बिगड़ रही है। जानें इस मुद्दे पर विशेषज्ञों की राय और युवाओं की स्थिति के बारे में।
 

नेपाल में Gen-Z का प्रदर्शन: एक नई पहचान

हाल ही में नेपाल में Gen-Z ने एक बड़ा प्रदर्शन किया, जिसने उन्हें एक नई पहचान दिलाई। युवा वर्ग ने व्यापक भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ सड़कों पर उतरकर अपनी आवाज उठाई। इस आंदोलन की तीव्रता इतनी थी कि गृहमंत्री और प्रधानमंत्री जैसे प्रमुख नेताओं को तुरंत इस्तीफा देना पड़ा। इसके परिणामस्वरूप पूरी सरकार में बदलाव आया और संसद भंग कर दी गई। अब सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया है। इस हिंसक प्रदर्शन में 74 लोगों की जान गई है, जबकि लगभग 2000 लोग घायल हुए हैं।


मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

इस घटनाक्रम ने विश्व स्तर पर Gen-Z की शक्ति को उजागर किया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इन युवाओं का समर्थन किया है। हालांकि, अब डॉक्टरों का कहना है कि इस प्रदर्शन का युवाओं पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, प्रदर्शन के बाद मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट आई है, जिससे चिंता और अनिद्रा जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। कुछ बच्चे और किशोर जिन्होंने प्रदर्शन में भाग लिया, वे खुद को मानसिक तनाव में महसूस कर रहे हैं।


बच्चों में बढ़ती मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं

डॉ. कुंवर ने बताया कि पिछले हफ्ते के प्रदर्शन के बाद मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त बच्चों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। कई मरीजों में तनाव की तीव्र प्रतिक्रियाएं देखी जा रही हैं, जिससे अनिद्रा की समस्या उत्पन्न हो रही है। कुछ बच्चों को नींद की दवाएं भी दी जा रही हैं।


डर और चिंता का माहौल

काठमांडू की एक 8 साल की बच्ची को रात में नींद न आने और हर समय बेचैनी महसूस होने के कारण अस्पताल लाया गया। बच्ची अपने माता-पिता से घर से बाहर जाने के लिए कह रही थी, क्योंकि उसे डर था कि कोई उसे नुकसान पहुंचा सकता है। उसके माता-पिता ने बताया कि वह शौचालय में भी अकेले जाने से डरती है।


सामान्य समस्या बन गई है सदमा

डॉक्टरों का कहना है कि नेपाल में कई लोग पिछले सप्ताह के प्रदर्शन से हुई मौतों और तबाही के कारण सदमे में हैं। यह स्थिति उन बच्चों और किशोरों के बीच सामान्य हो गई है, जिन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया या जो घर पर ही रह गए।


आत्महत्या के विचार

एक मरीज के दोस्त की प्रदर्शन में मौत के बाद, उस मरीज के मन में आत्महत्या के विचार आने लगे। डॉक्टरों का कहना है कि युवा बार-बार इन घटनाओं को याद करते हैं और चिंतित रहते हैं कि कहीं ऐसा फिर न हो।


डॉक्टरों की चेतावनी

नेपाल के मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि बड़ी आपदाओं के बाद मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का उभरना सामान्य है। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को इन समस्याओं के प्रति सचेत किया है और समय पर कदम उठाने की आवश्यकता बताई है।