पंजाब के सरकारी स्कूलों में डिजिटल क्रांति: 350 करोड़ रुपये की नई योजना
पंजाब में शिक्षा का नया युग
पंजाब सरकार ने सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर को आधुनिक तकनीकों से जोड़ने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। लगभग एक दशक के बाद, सरकार ने 350 करोड़ रुपये की डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर योजना को मंजूरी दी है, जो स्कूलों की स्थिति और भविष्य को बदलने में सहायक हो सकती है।
नए कंप्यूटरों की खरीद और लैब का उन्नयन
इस योजना के तहत, 250 करोड़ रुपये नए कंप्यूटरों की खरीद पर खर्च किए जाएंगे, जबकि 100 करोड़ रुपये से राज्यभर के स्कूलों में मौजूदा कंप्यूटर लैब को आधुनिक बनाया जाएगा। ये कंप्यूटर न केवल शिक्षकों की तकनीकी क्षमताओं को बढ़ाएंगे, बल्कि छात्रों को डिजिटल कौशल भी प्रदान करेंगे।
2015 के बाद की पहली महत्वपूर्ण पहल
यह ध्यान देने योग्य है कि 2015 के बाद से सरकारी स्कूलों में कंप्यूटरों की खरीद पर रोक थी। पिछले वर्ष इस दिशा में एक प्रस्ताव आया था, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा PGI 2.0 सर्वेक्षण के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था। अब, सरकार ने इस पहल को प्राथमिकता देते हुए मंजूरी दी है।
डिजिटल शिक्षा की नींव
पंजाब में डिजिटल शिक्षा की शुरुआत 2005 में PICTES (पंजाब सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी शिक्षा सोसाइटी) के गठन से हुई थी। इस संस्था ने कंप्यूटर शिक्षकों की नियुक्ति और डिजिटल लर्निंग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज भी PICTES के माध्यम से शिक्षकों को तकनीकी प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
स्मार्ट क्लासरूम और डिजिटल लाइब्रेरी का विकास
राज्य सरकार ने कई स्कूलों में डिजिटल लाइब्रेरी और स्मार्ट क्लासरूम की स्थापना की है। इससे छात्रों को मल्टीमीडिया टूल्स, ई-कंटेंट और ऑनलाइन संसाधनों तक बेहतर पहुंच मिलेगी। यह पहल छात्रों को 21वीं सदी की डिजिटल दुनिया के लिए तैयार करने का प्रयास है।
हर स्कूल की अपनी वेबसाइट
सरकार अब हर सरकारी स्कूल के लिए अलग वेबसाइट बनाने की योजना पर भी काम कर रही है। इससे अभिभावकों को बच्चों के होमवर्क, रिपोर्ट कार्ड, स्कूल इवेंट और अन्य शैक्षणिक जानकारियों तक ऑनलाइन पहुंच मिलेगी। यह पारदर्शिता बढ़ाने और स्कूल-परिवार के संवाद को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
तकनीक का प्रभावी उपयोग
पंजाब सरकार की यह पहल सरकारी स्कूलों को निजी स्कूलों के मुकाबले तकनीकी रूप से बेहतर विकल्प बनाने में मदद करेगी। इससे छात्रों के सीखने के अनुभव में गुणात्मक सुधार होगा और शिक्षकों को नई तकनीकों से सशक्त बनाया जा सकेगा। कुल मिलाकर, यह कदम तकनीक-संचालित शिक्षा की दिशा में एक साहसिक प्रयास है।