पंजाब में सड़क सुरक्षा के लिए नई पहल: SSF और फरिश्ते स्कीम
सड़क सुरक्षा की नई दिशा
यह कहानी पंजाब की उन सड़कों से संबंधित है, जहाँ पहले हर दिन डर और अनिश्चितता का माहौल होता था। समाचार पत्रों की सुर्खियाँ रोज़ाना सड़क दुर्घटनाओं की दुखद घटनाओं को उजागर करती थीं। लेकिन अब स्थिति में बदलाव आ चुका है। मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार ने सड़क सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए दो महत्वपूर्ण योजनाएं शुरू की हैं, जिन्होंने न केवल सड़क हादसों की संख्या में कमी की है, बल्कि लोगों में विश्वास और मानवता का भाव भी जागृत किया है।
सड़क सुरक्षा बल की स्थापना
सड़क सुरक्षा बल की शुरुआत
2024 में पंजाब सरकार ने देश का पहला समर्पित सड़क सुरक्षा बल (SSF) स्थापित किया। शुरुआत में किसी ने नहीं सोचा था कि यह कदम इतनी जल्दी प्रभाव डालेगा। आज SSF की टीमें राज्य के लगभग 4100 किलोमीटर लंबे मार्गों पर हर 30 किलोमीटर पर तैनात हैं। 144 हाईटेक वाहनों के साथ, यह बल दुर्घटनाओं की सूचना मिलने पर 5 से 7 मिनट में घटनास्थल पर पहुँच जाता है। 1477 जवानों की यह टीम दुर्घटनाओं को रोकने और घायलों को तुरंत अस्पताल पहुँचाने का कार्य करती है।
हादसों में कमी और जीवन की रक्षा
हादसों पर अंकुश और बचाई गई जिंदगियां
पंजाब में पहले औसतन 15 से 16 लोग सड़क हादसों में अपनी जान गंवाते थे। लेकिन SSF के गठन के बाद स्थिति में सुधार हुआ है। फरवरी से अक्टूबर 2024 के बीच लगभग 37,110 जिंदगियों को इस बल की मदद से बचाया गया। इसी अवधि में 768 लोगों को अस्पताल पहुँचाकर नई जिंदगी दी गई। 2023 की तुलना में 2024 में सड़क हादसों में 45.55% की कमी आई है।
आधुनिक तकनीक और स्मार्ट पुलिसिंग
टेक्नोलॉजी और स्मार्ट पुलिसिंग
SSF की सबसे बड़ी ताकत इसका आधुनिक और तकनीकी ढांचा है। टीमों को स्पीड गन, बॉडी कैमरा, ई-चालान सिस्टम और मोबाइल डेटा जैसी सुविधाएं प्रदान की गई हैं। इसके अलावा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से यातायात की निगरानी और हादसों की रोकथाम की जा रही है। इससे पुलिसिंग अधिक तेज़, पारदर्शी और स्मार्ट हो गई है।
फरिश्ते स्कीम का मानवीय पहलू
फरिश्ते स्कीम का मानवीय पहलू
हादसों में घायल लोगों की मदद करना हमेशा से एक चुनौती रहा है। लोग अक्सर पुलिस की पूछताछ और कानूनी झंझट के डर से घायलों को छोड़ देते थे। इस डर को खत्म करने के लिए मान सरकार ने 2024 में 'फरिश्ते' स्कीम शुरू की। इसके तहत घायल को तुरंत अस्पताल ले जाने वाले को 'फरिश्ता' कहा जाता है। घायल का पूरा इलाज मुफ्त होता है, जब तक वह पूरी तरह ठीक न हो जाए।
महिलाओं की भागीदारी
बेटियों की भागीदारी और असली सशक्तिकरण
SSF में महिलाओं को भी महत्वपूर्ण भूमिका दी गई है। 287 महिलाएं इस बल का हिस्सा हैं और पुरुषों के साथ मिलकर ड्यूटी निभा रही हैं। यह केवल नौकरी नहीं, बल्कि भरोसे और सशक्तिकरण का प्रतीक है।
पंजाब की नई सोच
नई सोच वाला नया पंजाब
इन पहलों ने पंजाब की सड़कों पर नई सुबह ला दी है। SSF हादसों को रोकने का कार्य करती है, जबकि 'फरिश्ते' स्कीम हादसे के बाद जीवन बचाने का। दोनों योजनाएं मिलकर एक संपूर्ण सुरक्षा चक्र तैयार करती हैं। यह केवल सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक सामाजिक क्रांति है।