पतंजलि समूह के विवादों का नया अध्याय: एडवेंचर टूरिज्म टेंडर पर उठे सवाल
पतंजलि समूह और विवादों का चक्र
पतंजलि समूह के विवादों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में एक नया विवाद सामने आया है, जिसमें आरोप है कि सरकारी संपत्ति को कम कीमत पर हस्तांतरित किया गया है। इस बार मामला बालकृष्ण की तीन कंपनियों से जुड़ा हुआ है। उत्तराखंड सरकार का कहना है कि सभी प्रक्रियाएं नियमों के अनुसार हुई हैं, लेकिन मीडिया में आई खबरों ने विपक्ष को एक नया मुद्दा दे दिया है।
यह मामला तीन साल पहले का है, जब उत्तराखंड सरकार ने राज्य में एडवेंचर टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए एक टेंडर जारी किया था। यह टेंडर जॉर्ज एवरेस्ट एस्टेट, जो कि उत्तराखंड टूरिज्म की संपत्ति है, के लिए था। यह क्षेत्र पहले से विकसित मसूरी के निकट स्थित है।
जॉर्ज एवरेस्ट एस्टेट की विशेषताएँ
यह एस्टेट 142 एकड़ में फैला हुआ है और इसमें पार्किंग, पाथवेज, एक हेलीपैड, लकड़ी के बने पांच मकान, दो म्यूजियम, एक कैफे और एक ऑब्जर्वेटरी शामिल हैं। इस संपत्ति को एक करोड़ रुपए सालाना की मामूली दर पर देने का टेंडर निकाला गया था।
खबरों के अनुसार, इस टेंडर में भाग लेने वाली तीनों कंपनियां बालकृष्ण की थीं, जिनमें से एक ने बोली जीत ली। जुलाई 2023 में कंपनी को यह एस्टेट सौंपा गया, जिसके बाद वहां कारोबार शुरू हुआ। टेंडर जीतने के बाद, राजस एयरोस्पोर्ट्स एंड एडवेंचर नामक कंपनी का राजस्व एक साल के भीतर आठ गुना बढ़कर 9.82 करोड़ रुपए हो गया, जबकि पहले यह 1.17 करोड़ रुपए था। इस विवाद के बीच एक सवाल यह भी उठता है कि आखिर दो साल बाद इस मामले पर ध्यान क्यों दिया गया, जिससे यह खबर लीक हुई?