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पुत्रदा एकादशी 2025: संतान सुख के लिए महत्वपूर्ण व्रत

पुत्रदा एकादशी 2025 का व्रत संतान सुख की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण है। यह व्रत पौष और श्रावण मास में मनाया जाता है, जिसमें भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। जानें इस व्रत की तिथि, पूजा विधि और पौराणिक कथा, जो इसे विशेष बनाती है। इस दिन का महत्व और व्रत के लाभों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करें।
 

पुत्रदा एकादशी का महत्व

पुत्रदा एकादशी 2025: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष स्थान है, और पुत्रदा एकादशी उन दंपतियों के लिए खासतौर पर महत्वपूर्ण मानी जाती है जो संतान सुख की इच्छा रखते हैं। यह व्रत साल में दो बार मनाया जाता है, पहली बार पौष मास में और दूसरी बार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में। हालांकि, पौष मास की पुत्रदा एकादशी को अधिक फलदायी माना जाता है, क्योंकि यह संतान प्राप्ति और उसकी लंबी उम्र के लिए पुण्य अर्जित करने का अवसर प्रदान करती है.


पूजा विधि और महत्व

इस दिन भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और सच्चे मन से विष्णु की आराधना करने से संतान सुख का आशीर्वाद मिलता है। यह व्रत न केवल संतान देने वाला होता है, बल्कि संतान के अच्छे स्वास्थ्य, चरित्र और उज्ज्वल भविष्य की कामना के लिए भी अत्यधिक लाभकारी है.


पुत्रदा एकादशी 2025 की तिथि

पुत्रदा एकादशी 2025 कब है?

इस वर्ष पुत्रदा एकादशी 4 अगस्त 2025 को सुबह 11:42 बजे से शुरू होगी और 5 अगस्त 2025 को दोपहर 1:13 बजे तक रहेगी। चूंकि यह एकादशी सूर्योदय के बाद प्रभावी होगी, इसलिए व्रत 5 अगस्त को रखा जाएगा। इस दिन ज्येष्ठा नक्षत्र और रवि योग का शुभ संयोग बन रहा है, जो पूजा के लिए अत्यंत उत्तम है। इसके साथ ही, ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4:20 से 5:02 बजे तक) और अभिजीत मुहूर्त (दोपहर 12:00 से 12:54 बजे तक) भी पूजा और व्रत के लिए शुभ समय होते हैं.


पौराणिक कथा

पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं में राजा सुकर्मा की कथा प्रसिद्ध है, जिनके पास संतान नहीं थी। उन्होंने ऋषियों के आदेश पर पुत्रदा एकादशी का व्रत किया, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें एक योग्य पुत्र की प्राप्ति हुई। तभी से यह व्रत संतान सुख की प्राप्ति के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है.


व्रत की विधि

व्रत की विधि

इस दिन व्रति को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। प्रातः स्नान करके पीले वस्त्र पहनें और भगवान विष्णु की पूजा करें। साथ ही, तुलसी दल अर्पित करें, विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और दान करें.

यदि आप संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं या अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए आशीर्वाद चाहते हैं, तो पुत्रदा एकादशी आपके लिए विशेष महत्व रखती है। यह व्रत न केवल आस्था की अभिव्यक्ति है, बल्कि भविष्य में सुखी और स्वस्थ संतान की प्राप्ति की शुरुआत भी हो सकता है.