पुरी में सोना बेशा उत्सव: भगवान जगन्नाथ के लिए भव्य आभूषणों की तैयारी
सोना बेशा उत्सव, जो भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, इस साल पुरी में भव्य रूप से मनाया जाएगा। लगभग 208 किलोग्राम सोने के आभूषणों से सजाए जाने वाले देवताओं का दर्शन लाखों भक्तों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव होगा। इस उत्सव के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाएंगे, जिससे श्रद्धालु शांतिपूर्ण ढंग से दर्शन कर सकें। जानें इस भव्य आयोजन के बारे में और ओडिशा की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक के रूप में इसकी महत्ता।
Jul 7, 2025, 10:19 IST
सोना बेशा उत्सव का महत्व
भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण और भव्य अवसर नजदीक आ रहा है - प्रसिद्ध सोना बेशा उत्सव। इस वर्ष, पुरी के विश्व प्रसिद्ध श्री जगन्नाथ मंदिर में देवताओं को लगभग 208 किलोग्राम शुद्ध सोने के आभूषणों से सजाया जाएगा। यह स्वर्ण श्रृंगार हर साल आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो बहुदा यात्रा (वापसी यात्रा) के ठीक अगले दिन होता है। इस दिन, लाखों भक्त दूर-दूर से पुरी पहुंचते हैं ताकि वे अपने आराध्य देवताओं को उनके सबसे भव्य और दिव्य सोने से सजे रूप में देख सकें। यह दर्शन भक्तों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव होता है।मंदिर के खजाने में सुरक्षित रखे गए ये सभी 208 किलोग्राम सोने के आभूषण उत्सव से पहले बाहर लाए जाएंगे। देवताओं को पहनाए जाने वाले आभूषणों में विभिन्न प्रकार की मालाएं, मुकुट, और अन्य अनमोल रत्न जड़े वस्त्र शामिल होते हैं, जो उनकी शोभा को कई गुना बढ़ा देते हैं। इस भव्य आयोजन के दौरान, सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाते हैं। ओडिशा पुलिस और मंदिर प्रशासन मिलकर यह सुनिश्चित करते हैं कि आभूषणों की सुरक्षा पुख्ता रहे और श्रद्धालु शांतिपूर्ण ढंग से दर्शन कर सकें। सोना बेशा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि ओडिशा की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का एक जीवंत प्रतीक भी है, जो हर साल लाखों लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है।