पूर्णिमा तिथि का महत्व: पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि का महत्व
हर महीने की अंतिम तिथि को पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है, जो हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। इसके साथ ही, स्नान और दान का भी विशेष महत्व होता है, जिससे जीवन में खुशियों का आगमन होता है। गंगा नदी में स्नान करने से जातक की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं, और व्रत तथा दान करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए जानते हैं पूर्णिमा तिथि का मुहूर्त, पूजा विधि और इसके महत्व के बारे में...
तिथि और शुभ मुहूर्त
10 जून को सुबह 08:05 बजे ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत हुई। यह तिथि 11 जून को सुबह 09:43 बजे समाप्त होगी। आज रात 10:50 बजे पूर्णिमा का चाँद दिखाई देगा। स्नान और दान का मुहूर्त सुबह 04:02 से 04:42 बजे तक है।
स्नान-दान और पूजा विधि
इस दिन सुबह जल्दी स्नान करके व्रत का संकल्प लें। इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें और सफेद वस्त्र पहनें। मंत्र जाप करते हुए सफेद वस्तुओं और जल का दान करें। रात में चंद्र देव को अर्घ्य देना न भूलें। आप इस दिन फलाहार या जल पीकर व्रत रख सकते हैं।
महत्व
पूर्णिमा तिथि को पूर्णता का प्रतीक माना जाता है, क्योंकि इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण अवस्था में होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह वर्ष का तीसरा महीना है। इस दिन व्रत और दान-पुण्य करने से जातक को अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति होती है। पूर्णिमा पर चंद्रमा की विधिविधान से पूजा करने से चंद्र संबंधी दोष भी दूर होते हैं।