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प्रदूषण से राहत: पान के पत्ते से गले की जलन का घरेलू उपाय

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के बढ़ते स्तर से गले और सांसों पर असर पड़ रहा है। इस समस्या से राहत पाने के लिए पान के पत्ते का उपयोग एक प्रभावी घरेलू उपाय है। आयुर्वेद में इसके कई लाभ बताए गए हैं, जैसे गले की जलन और खांसी में राहत। जानें पान के पत्ते से काढ़ा बनाने की विधि और इसके स्वास्थ्य लाभ।
 

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का बढ़ता स्तर

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण (AQI) तेजी से बढ़ रहा है, जिससे गले, सांसों और फेफड़ों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। हवा में मौजूद धूल, धुआं और हानिकारक कण गले में जलन, सूखापन और खांसी को बढ़ा देते हैं। ऐसे में घरेलू उपाय ही सहायक होते हैं। आयुर्वेद में इस समस्या का समाधान दवाओं के बजाय प्राकृतिक चीजों से किया जा सकता है। पान का पत्ता इन परेशानियों को दूर करने में बेहद प्रभावी है।


पान के पत्ते का आयुर्वेदिक महत्व

आयुर्वेद के अनुसार, पान का पत्ता गर्म तासीर वाला होता है, जो शरीर में स्वाभाविक गर्माहट को बढ़ाता है। जब ठंड, प्रदूषण या मौसम में बदलाव के कारण कफ बढ़ता है, तो इससे गले में जलन, खांसी, बंद नाक और भारीपन जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इस स्थिति में पान का पत्ता बिना किसी कफ सिरप या दवा के, प्राकृतिक रूप से इन समस्याओं को कम करने में मदद करता है।


गले में जलन का घरेलू उपाय

इस विधि से गले की जलन, खराश, सूखापन, खांसी और कफ में आराम मिलता है।


पान के पत्ते से काढ़ा बनाने की विधि

- सबसे पहले 1-2 पान के पत्ते पानी में डालें।


- इसमें 3-4 तुलसी के पत्ते और 2-3 काली मिर्च डालकर उबालें।


- इसे कुछ मिनट उबालकर छान लें।


- इसे गर्मागर्म पिएं।


केवल 7-10 दिनों तक इस काढ़े का सेवन करने से गले की जलन में कमी आएगी, खांसी में राहत मिलेगी, कफ भी पिघल जाएगा और गला हल्का महसूस होगा।


आयुर्वेद में पान के पत्ते का महत्व

- हल्का गर्म करके लेने से सांस खुलने लगती है।


- पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर पीने से खराश कम होती है।


- शहद के साथ सेवन करने से गले को काफी आराम मिलता है।


- इसके अलावा, स्टीम में डालकर लेने से कंजेशन तुरंत कम होता है।