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प्रधानमंत्री मोदी ने एम. एस. स्वामीनाथन शताब्दी सम्मेलन का उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई दिल्ली में एम. एस. स्वामीनाथन शताब्दी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस सम्मेलन का उद्देश्य 'सदाबहार क्रांति' के सिद्धांतों पर चर्चा करना है। मोदी ने डॉ. स्वामीनाथन के योगदान को सराहा और किसानों के हितों की रक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। यह सम्मेलन तीन दिनों तक चलेगा और इसमें विभिन्न विशेषज्ञों की भागीदारी होगी।
 

सम्मेलन का उद्घाटन

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को नई दिल्ली में एम. एस. स्वामीनाथन शताब्दी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस सम्मेलन का विषय “सदाबहार क्रांति, जैव–खुशहाली का मार्ग” है, जो प्रो. स्वामीनाथन के जीवनभर के समर्पण को दर्शाता है, जिसमें उन्होंने सभी के लिए भोजन सुनिश्चित करने का प्रयास किया। सरकार के अनुसार, यह तीन दिवसीय सम्मेलन वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं, विकास पेशेवरों और अन्य हितधारकों को ‘सदाबहार क्रांति‘ के सिद्धांतों पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करेगा।


डॉ. स्वामीनाथन का योगदान

इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “मुझे गर्व है कि हमारी सरकार को डॉ. स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित करने का अवसर मिला। उन्होंने भारत को खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए। उनकी पहचान हरित क्रांति से कहीं अधिक विस्तृत है।” उन्होंने आगे कहा, “प्रोफेसर स्वामीनाथन ऐसे महान व्यक्ति थे जिनका योगदान किसी एक क्षेत्र तक सीमित नहीं था। उन्होंने विज्ञान को जनसेवा का माध्यम बनाया और अपने जीवन को देश की खाद्य सुरक्षा को बढ़ाने में समर्पित किया। उनकी प्रेरणाएँ भारत की नीतियों को हमेशा मार्गदर्शन करेंगी।”


किसानों के हितों की प्राथमिकता

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “स्वामीनाथन से हर मुलाकात मेरे लिए एक सीख रही है। उन्होंने कहा था कि विज्ञान केवल खोज नहीं है, बल्कि उसे लागू करना भी है। उन्होंने अपने कार्यों से इसे सिद्ध किया। उन्होंने न केवल शोध किया, बल्कि किसानों को खेती के नए तरीकों के लिए प्रेरित भी किया। आज भी, उनके विचार और दृष्टिकोण हर जगह प्रकट होते हैं।” उन्होंने यह भी कहा, “किसानों का हित भारत की सर्वोच्च प्राथमिकता है। हम किसानों, मछुआरों और डेयरी किसानों के हितों से कभी समझौता नहीं करेंगे। व्यक्तिगत रूप से, मुझे किसानों के हितों की रक्षा के लिए कीमत चुकानी पड़ेगी, लेकिन मैं इसके लिए तैयार हूं।”