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प्रेग्नेंसी में विटामिन-डी की कमी और इसके प्रभाव

गर्भावस्था के दौरान विटामिन-डी की कमी बच्चे के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है, जिसमें अस्थमा का खतरा शामिल है। एक हालिया अध्ययन के अनुसार, विटामिन-डी की कमी से बच्चे का इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है। गर्भवती महिलाओं को अपनी डाइट में डेयरी उत्पाद और गाजर शामिल करने की सलाह दी गई है। जानें विटामिन-डी के महत्व और इसे कैसे प्राप्त किया जा सकता है।
 

प्रेग्नेंसी के दौरान विटामिन-डी की आवश्यकता

हेल्थ टिप्स: गर्भावस्था के दौरान विटामिन-डी की कमी से बच्चे में अस्थमा का खतरा बढ़ सकता है। एक अध्ययन, जो जर्नल ऑफ एलर्जी और क्लीनिकल इम्यूनोलॉजी में प्रकाशित हुआ है, के अनुसार गर्भावस्था में विटामिन-डी की कमी बच्चे के इम्यून सिस्टम को प्रभावित करती है। इसके परिणामस्वरूप बच्चे की श्वसन क्षमता भी कमजोर हो सकती है। शोधकर्ताओं का सुझाव है कि गर्भवती महिलाओं को अपनी डाइट में नियमित रूप से डेयरी उत्पाद और गाजर शामिल करना चाहिए।



विटामिन-डी की महत्ता
गर्भावस्था के दौरान विटामिन-डी की आवश्यकता कई कारणों से होती है। यह कैल्शियम और फास्फोरस के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है, जो बच्चे की हड्डियों और दांतों के विकास के लिए आवश्यक है।
इसके अलावा, गर्भवती महिलाओं में विटामिन-डी की पर्याप्त मात्रा बैक्टीरियल वेजाइनिटिस के जोखिम को कम करती है।
यह भ्रूण को फेफड़ों की समस्याओं और अस्थमा जैसी इम्यून स्थितियों से भी बचाता है।
नवजात शिशुओं में कार्डियोवस्कुलर समस्याओं का खतरा भी कम होता है।



विटामिन-डी प्राप्त करने के स्रोत
शरीर में विटामिन-डी का लगभग 95 प्रतिशत हिस्सा धूप से प्राप्त होता है। शेष 5 प्रतिशत अंडे, वसा वाली मछली, फिश लिवर ऑयल, दूध, पनीर, दही और अनाज जैसे खाद्य पदार्थों से मिलता है।