बिहार चुनाव में अपराध मुक्त व्यवस्था: एक नई सोच
बिहार में अपराध और सत्ता का गठजोड़
Editorial | आलोक मेहता | बिहार विधानसभा चुनाव में एक महत्वपूर्ण मुद्दा राज्य को जंगल राज से बचाने का है, जिसमें सत्ता और अपराधियों के गठजोड़ का जिक्र है। लालू प्रसाद यादव के शासनकाल में नेताओं और अपराधियों के बीच गहरे संबंधों पर कई रिपोर्टें और पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। मैंने भी उस समय कई घटनाओं का सामना किया और विभिन्न समाचार पत्रों में रिपोर्टें प्रकाशित कीं।
पुलिस कार्रवाई और मुठभेड़ पर बहस
अपराध मुक्त व्यवस्था के संदर्भ में उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा गृह मंत्री अमित शाह के द्वारा उठाए गए कदमों की चर्चा हो रही है। पुलिस की मुठभेड़ में अपराधियों के मारे जाने पर सवाल उठते हैं, जिससे पुलिस अधिकारी, मीडिया और कानूनविदों के बीच बहस चलती है। पत्रकारों को यह सोचने की आवश्यकता है कि क्या मुठभेड़ में अपराधियों को कानून से सजा देने के बजाय मारा जा रहा है या नहीं।
प्रशांत कुमार की पुस्तक 'द इन्फोर्सर'
इन सवालों के उत्तर मुझे उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार की नई पुस्तक 'द इन्फोर्सर' में मिले। प्रशांत कुमार ने कई अभियानों का नेतृत्व किया और राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी पुस्तक में बताया गया है कि जुलाई 2023 से मई 2025 के बीच यूपी पुलिस ने 93,000 से अधिक लोगों को दोषी ठहराया, जिनमें से 65 को मृत्युदंड मिला।
माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई
पुस्तक में यह भी उल्लेख किया गया है कि 7,800 से अधिक लोगों को आजीवन कारावास और 1,395 को 20 साल से अधिक की सजा मिली। यह दर्शाता है कि गंभीर अपराधों पर पुलिस द्वारा पर्याप्त सबूत उपलब्ध कराने पर अदालतें कठोर दंड दे रही हैं। उत्तर प्रदेश में पुलिस बल की संख्या अब 4 लाख से अधिक हो गई है, जो पहले केवल 2 लाख थी।
प्रशांत कुमार का योगदान
प्रशांत कुमार ने माफिया टास्क फोर्स का गठन किया और माफिया गिरोहों की पहचान की। उन्होंने स्पष्ट किया कि पुलिस मुठभेड़ में घात लगाए नहीं बैठी है। उनके कार्यकाल में धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाने का मुद्दा भी शामिल है।
निष्कर्ष
इस पुस्तक में प्रशांत कुमार ने 31 माफिया लीडर और उनके सहयोगियों को अदालत से सजा दिलाने में सफलता प्राप्त की। यह स्पष्ट संदेश है कि अब माफिया के लिए कोई जगह नहीं है। मोदी सरकार द्वारा पारित न्याय संहिता 2023 के तहत 429 अपराधियों पर कार्रवाई की गई है। इसलिए, पूरे देश में ईमानदार पुलिसकर्मियों को सरकार और अदालत से सहयोग मिलना आवश्यक है।