बिहार मछली पालन योजना: 60% सब्सिडी के साथ आवेदन की अंतिम तिथि 31 अगस्त
बिहार मछली पालन योजना का उद्देश्य
बिहार मछली पालन योजना: बिहार सरकार ने एक नई योजना शुरू की है, जिसका लक्ष्य मत्स्य क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाना और ग्रामीण युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करना है। यह योजना पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के तहत लागू की गई है।
मछली पालन को प्रोत्साहन
इस योजना के अंतर्गत माइनर कार्प और कैटफिश जैसी देशी मछलियों के पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। सरकार आधुनिक हैचरी तकनीक का उपयोग करके बीज उत्पादन करेगी और इसे किसानों को सस्ती दरों पर उपलब्ध कराएगी। इससे मत्स्य उत्पादकता में वृद्धि होगी और किसानों की वार्षिक आय में सुधार होगा।
सब्सिडी की जानकारी
सब्सिडी की श्रेणियां और लागत: इस योजना में चार श्रेणियों में 60% तक की सब्सिडी प्रदान की जा रही है। शेष राशि लाभार्थियों को स्वयं या बैंक ऋण के माध्यम से वहन करनी होगी।
माइनर कार्प हैचरी की लागत ₹13.12 लाख है।
कैटफिश हैचरी की लागत ₹15.37 लाख है।
माइनर कार्प पालन की लागत ₹0.94 लाख है।
कैटफिश एवं अन्य मछलियों के पालन की लागत ₹1.35 लाख है।
यह योजना उन किसानों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जिनके पास 25 डिसमिल से 1 एकड़ तक जलक्षेत्र है।
आवेदन प्रक्रिया और पात्रता
आवेदन प्रक्रिया: यह योजना पूरे बिहार में लागू है। इच्छुक लाभार्थी 31 अगस्त 2025 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
आवेदन केवल एक अवयव के लिए किया जा सकता है—या तो हैचरी या पालन मात्स्यिकी। प्रत्येक परिवार से केवल एक व्यक्ति आवेदन कर सकता है।
आवेदन के लिए राज्य की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा या जिला मत्स्य कार्यालय से संपर्क किया जा सकता है।