ब्रेस्ट मिल्क में भारी धातुओं की मौजूदगी: स्वास्थ्य पर प्रभाव और सावधानियाँ
ब्रेस्ट मिल्क में विषैले तत्वों की पहचान
हाल ही में भारत में किए गए वैज्ञानिक अनुसंधानों ने यह दर्शाया है कि प्रदूषित क्षेत्रों में रहने वाली माताओं के ब्रेस्ट मिल्क में यूरेनियम और अन्य विषैले भारी धातुओं के अंश पाए गए हैं। जबकि स्तनपान शिशुओं के लिए सर्वोत्तम पोषण का स्रोत माना जाता है, विशेषज्ञों का कहना है कि माताओं के संपर्क में आने वाले भारी धातुओं का प्रभाव माँ और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।
भारी धातुएँ जैसे सीसा, मरकरी, कैडमियम, आर्सेनिक और यूरेनियम मुख्यतः दूषित जल, प्रदूषित वायु, औद्योगिक कचरे, कीटनाशकों से भरे खाद्य पदार्थों और असुरक्षित भंडारण तरीकों के माध्यम से शरीर में प्रवेश करती हैं।
एक बार शरीर में पहुँचने के बाद, ये धातुएँ ऊतकों में जमा होने लगती हैं और स्तनपान के दौरान शिशु तक पहुँच सकती हैं, जिससे बच्चे के मस्तिष्क, गुर्दे, रोग प्रतिरोधक तंत्र और तंत्रिका तंत्र के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। मदरहुड हॉस्पिटल, मोहाली के पीडियाट्रिक्स और नियोनेटोलॉजी के सलाहकार, डॉ. सौरभ कपूर ने कहा, "भारी धातुएँ शिशुओं के लिए विशेष रूप से खतरनाक होती हैं, क्योंकि उनके अंग और तंत्रिका तंत्र विकासशील अवस्था में होते हैं। इनका संपर्क विकास में देरी, सीखने में कठिनाई, कमजोर प्रतिरोधक क्षमता, वृद्धि संबंधी समस्याएँ और दीर्घकालिक स्नायविक प्रभाव पैदा कर सकता है। इसलिए, रोकथाम ही सबसे प्रभावी सुरक्षा उपाय है।"