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ब्रेस्टफीडिंग और ओवरी कैंसर: जानें कैसे मिलती है सुरक्षा

ब्रेस्टफीडिंग न केवल बच्चे के लिए, बल्कि मां के स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। यह ओवरी कैंसर के खतरे को कम करने में मदद कर सकता है। इस लेख में, हम ओवरी कैंसर के रिस्क फैक्टर्स और ब्रेस्टफीडिंग की सुरक्षा भूमिका के बारे में चर्चा करेंगे। जानें कैसे ब्रेस्टफीडिंग से हार्मोनल संतुलन में सुधार होता है और ओवरीज को आराम मिलता है। इसके अलावा, कैंसर के खतरे को कम करने वाले अन्य उपायों के बारे में भी जानकारी प्राप्त करें।
 

ब्रेस्टफीडिंग के फायदे

ब्रेस्टफीडिंग केवल बच्चे के लिए ही नहीं, बल्कि मां के स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। यह न केवल बच्चे को पोषण प्रदान करता है, बल्कि उसकी इम्यूनिटी को भी मजबूत बनाता है। इसके अलावा, यह मां को कई गंभीर बीमारियों से बचाने में मदद कर सकता है। विशेषज्ञों और शोधों के अनुसार, ब्रेस्टफीडिंग से महिलाओं में ओवरी कैंसर का खतरा काफी कम हो सकता है। यह एक प्राकृतिक सुरक्षा तंत्र के रूप में कार्य करता है, जिससे महिलाओं के शरीर में पीरियड्स कुछ समय के लिए रुक जाते हैं, हार्मोनल संतुलन बना रहता है और ओवरी पर पड़ने वाले तनाव में कमी आती है।


ओवरी कैंसर के रिस्क फैक्टर्स

ओवरी कैंसर का खतरा 40 वर्ष की आयु के बाद बढ़ता है, और 65 वर्ष की उम्र में इसके मामले सबसे अधिक देखे जाते हैं। यदि परिवार में किसी को ओवरी या ब्रेस्ट कैंसर हुआ है, तो इसका जोखिम बढ़ जाता है। जिन महिलाओं के बच्चे नहीं हैं, उनमें भी यह खतरा अधिक हो सकता है। इसके अलावा, जो महिलाएं ब्रेस्टफीडिंग नहीं करतीं, उनमें ओवरी कैंसर का खतरा ज्यादा पाया गया है। गर्भधारण के लिए दवाओं का सेवन करने से भी इस कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। अधिक वजन भी एक महत्वपूर्ण रिस्क फैक्टर है।


ब्रेस्टफीडिंग और कैंसर का संबंध

ओवरी कैंसर के मुख्य रिस्क फैक्टर्स को समझने के लिए यह जानना आवश्यक है कि ओव्यूलेशन प्रक्रिया इसका प्रमुख कारण है। जब महिलाएं गर्भवती होती हैं और ब्रेस्टफीडिंग करती हैं, तो कुछ समय के लिए पीरियड्स और ओव्यूलेशन रुक जाता है। इससे ओवरीज को आराम मिलता है, जिससे असामान्य कोशिकाओं के विकास का खतरा कम हो जाता है। ब्रेस्टफीडिंग से हार्मोनल संतुलन में सुधार होता है और एस्ट्रोजन का स्तर नियंत्रित रहता है।


ओवरी कैंसर के खतरे को कम करने वाले उपाय

जिन महिलाओं के बच्चे होते हैं, उनमें ओवरी कैंसर का खतरा कम होता है। गर्भावस्था के दौरान पीरियड्स रुकने से ओवरीज पर तनाव कम होता है। इसके अलावा, जो महिलाएं 5 साल या उससे अधिक समय तक ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स का सेवन करती हैं, उनमें भी ओवरी कैंसर का खतरा कम होता है। नसबंदी कराने से भी इस कैंसर का खतरा घट सकता है, क्योंकि इस प्रक्रिया में फैलोपियन ट्यूब्स को बांध दिया जाता है। सर्जिकल ऑपरेशन से ट्यूब्स निकालने से भी ओवरी कैंसर का खतरा कम होता है। हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि सभी महिलाओं पर ये रिस्क फैक्टर्स लागू नहीं होते हैं।


डॉक्टर से कब संपर्क करें

यदि आपको पेल्विक दर्द, बार-बार ब्लोटिंग, भूख में कमी या जल्दी पेट भरने जैसी समस्याएं महसूस होती हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।