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भारत और फ्रांस का संयुक्त प्रयास: पांचवीं पीढ़ी का जेट इंजन विकास

भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव के बीच, भारत ने फ्रांस के साथ मिलकर पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ जेट इंजन विकसित करने का निर्णय लिया है। यह परियोजना न केवल भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करेगी, बल्कि अमेरिका को भी एक बड़ा झटका दे सकती है। जानें इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के बारे में और कैसे यह भारत को आत्मनिर्भर बनाएगा।
 

भारत और अमेरिका के बीच बढ़ता तनाव

नई दिल्ली। रूस से तेल खरीदने के चलते भारत और अमेरिका के संबंधों में तनाव बढ़ता जा रहा है। अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया है, जबकि अन्य देशों पर यह दर 30 प्रतिशत तक है। इसके बावजूद, भारत ने अमेरिका के दबाव को नजरअंदाज करते हुए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। डीआरडीओ अब फ्रांस के सहयोग से पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ जेट इंजन विकसित करने जा रहा है।


फ्रांस के साथ तकनीकी सहयोग

भारत और फ्रांस मिलकर 120 किलो-न्यूटन थ्रस्ट वाला जेट इंजन बनाएंगे। फ्रांस की कंपनी साफरान इस परियोजना में 100 प्रतिशत तकनीक ट्रांसफर करेगी। यह एएमसीए प्रोजेक्ट भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के साथ-साथ भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। इस महत्वाकांक्षी परियोजना को जल्द ही कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।


साफरान का भारत में अनुभव

फ्रांस की मीडिया के अनुसार, साफरान पहले भी भारत में हेलिकॉप्टर इंजन का निर्माण कर चुका है। अब, यह डीआरडीओ और भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर फाइटर जेट इंजन के विकास में 100 प्रतिशत सहयोग करेगा। अगली पीढ़ी का लड़ाकू विमान, एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट, इस नए इंजन से लैस होगा। इस परियोजना की लागत लगभग सात अरब डॉलर होने का अनुमान है।


रक्षा मंत्री का बयान

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस परियोजना को हरी झंडी दे दी है। उन्होंने कहा कि भारत को अपने देश में ही पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का विकास करना होगा। वायुसेना ने विमानों की कमी की ओर इशारा किया है, जिससे नए विमानों का विकास अनिवार्य हो गया है।


अमेरिका को झटका

अमेरिका का जेट इंजन निर्माण में विश्व में दबदबा है, लेकिन भारत और फ्रांस के बीच होने वाला यह समझौता अमेरिका को बड़ा झटका दे सकता है। फ्रांस भारत को तकनीक हस्तांतरण, बौद्धिक संपदा और लाइसेंसिंग अधिकार भी देगा, जिससे भारत को स्वतंत्र रूप से इंजन निर्माण और सुधार करने की क्षमता मिलेगी।